नमस्ते दोस्तों, कैसे हो आप? आज हम लड़की के पीरियड्स के बारे में जानने वाले है | जब एक लड़की किशोरावस्था में प्रवेश करती है; तब उसके शरीर में काफी सारे बदलाव दिखाई देते हैं। किशोरावस्था में प्रवेश करने के बाद लड़की के पीरियड शुरू हो जाते हैं। मासिक धर्म शुरू होने के बाद लड़की के जननांगों में भी काफी बदलाव देखने को मिलते हैं।

जननांगों में बदलाव के साथ-साथ, लड़की के शरीर में हारमोंस में भी तीव्र बदलाव दिखाई देते हैं। छाती में उभर आना, ब्रेस्ट के आकार बढ़ना और प्यूबिक एरिया में भी बदलाव दिखाई देने लगते हैं लड़की के जब पीरियड्स शुरू होते हैं; तब लड़की थोड़ी घबरा जाती है।

क्योंकि, पीरियड्स के बारे में उसे ज्यादा जानकारी नहीं होती है। हमारे भारत देश में आज भी मासिक धर्म को लेकर चर्चा करने से परहेज किया जाता है। लेकिन, आजकल के मॉडर्न जमाने में माताओं को अपने बच्चियों को मासिक धर्म के बारे में आगाह करना आवश्यक होता है।

क्योंकि, आजकल का जमाना बहुत ही फास्ट है। ऐसे में, बच्चियों को हर क्षेत्र में कंपटीशन का सामना करना पड़ता है। खेल के क्षेत्र में, पढ़ाई के क्षेत्र में तथा अन्य कई क्षेत्रों में कंपटीशन में बने रहने के लिए बच्चियों का आत्मविश्वास बहुत ही महत्वपूर्ण होता है।

इसी आत्मविश्वास को बनाए रखने के लिए महिलाओं को अपने बच्चियों के साथ पीरियड्स के बारे में खुलकर चर्चा करना बहुत ही आवश्यक होता है; ताकि बच्चियों को उसके बारे में पूरी जानकारी प्राप्त हो सके।

जब एक लड़की को पीरियड के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त होगी; तब पीरियड्स को लेकर उसके मन में से डर निकल जाएगा और वह खुले मन से पीरियड के बदलाव को स्वीकार कर सकती हैं।

तो आइए दोस्तों, आज जानेंगे; लड़की के पीरियड्स के बारे में पुरी जानकारी।

लड़की के पीरियड्स क्या होते हैं ? Ladki Ke Periods

 

किशोरावस्था के दौरान हर लड़की के पीरियड्स शुरू हो जाते हैं। हर महीने में एक बार आने वाले यह पीरियड ४ से ५ दिनों तक चलते हैंं। पीरियड में ४ से ५ दिनों तक ब्लीडिंग होती है। इसी के साथ; पीरियड्स को “मासिक धर्म”, “माहवारी”, “रजस्वला धर्म”, “रजोधर्म” के नाम से भी जाना जाता है।

हर महिला को किशोरावस्था के दौरान पीरियड से गुजरना ही पड़ता है। यह एक आम प्राकृतिक प्रक्रिया है; जिससे हर लड़की रूबरू होती ही है। आमतौर पर, मासिक धर्म महीने में एक बार आता है। हर महीने होने वाली मासिक धर्म की प्रक्रिया में गर्भाशय से उतक और खून वजाइना के द्वारा बाहर निकल जाता है।

लड़की के मासिक धर्म शुरू हो जाने के बाद संभावित गर्भावस्था के लिए लड़की का गर्भाशय पूरी तरीके से तैयार करने की प्रक्रिया शुरू हो जाती हैं। इस प्रक्रिया के दौरान लड़की के शरीर में एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन, प्रोलेक्टिन इन जैसे सेक्स हार्मोन का स्त्राव होता है। इन हार्मोन का स्त्राव होने की वजह से लड़की के गर्भाशय की युटेराइन लाइनिंग या एंडोमेट्रियम बनना शुरू हो जाती है; जिसमें फर्टिलाइज एग पोषित होता है।

इन्हीं सेक्स हार्मोन की वजह से ओवुलेशन के दौरान अंडाशय एक अंडा रिलीज करता है। यह अंडा पहले फेलोपियन ट्यूब से होकर गुजरता है और एंडोमेट्रियम से जाकर जुड़ जाता है; जो फर्टिलाइजेशन की प्रक्रिया के लिए तैयार रहता है। यही एंडोमेट्रियम लाइन बनने, टूटने और निकलने में लगभग २८ से ३५ दिनों का समय लगता है और इसी को “मेंस्ट्रूअल साइकिल” कहा जाता है।

आमतौर पर, ज्यादातर लड़कियों में तथा महिलाओं में मासिक धर्म की साईकिल २८ से ३५ दिनों की होती है  अगर फर्टिलाइजेशन नहीं होता है और लड़की गर्भवती नहीं होती है; तो २८ से ३५ दिनों में एंडोमेट्रियम लाइन टूट जाती है और पीरियड फिर से शुरू हो जाते हैं।

लड़की को पहली बार पीरियड कब आता है ? Ladki Ko Pehli Bar PEriod Kab Ata Hai ?

लड़की को पहली बार पीरियड कब आता
लड़की को पहली बार पीरियड कब आता

आमतौर पर, लड़की के पीरियड शुरू होने का वक्त १२ साल की आयु का होता है। लेकिन, जैसे की हम सभी जानते हैं; हर लड़की अलग-अलग होती हैं। इसी लिहाज से, हर लड़की का शारीरिक विकास भी अलग-अलग तरीके से होता है। हर लड़की की शारीरिक अवस्था और शारीरिक स्वास्थ्य भी अलग अलग होता है।

इसी कारणवश, कई लड़कियों में कुछ कारणों की वजह से सबसे पहले बार पीरियड ८ साल की उम्र में ही हो जाते हैं; तो कईयों के १४-१५ साल की उम्र में होते हैं। पीरियड चाहे ८ साल की उम्र में शुरू हो या १५ साल की उम्र में; दोनों ही स्थितियों में यह सामान्य बात मानी जाती है और इसमें परेशानी की कोई भी बात नहीं होती है। हर लड़की को अपने अपने शारीरिक स्वास्थ्य के हिसाब से पीरियड्स शुरू होते हैं।

लड़की का पीरियड कैसा होता है ? Ladki Ke Periods Kaise Hote Hain ?

किशोरावस्था के दौरान सबसे पहली बार जब लड़की के पीरियड शुरू होते हैं; तब वह काफी असमंजस में और घबराई हुई होती है। क्योंकि, उसे पीरियड के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती है। पीरियड के दौरान होने वाली तकलीफों के बारे में आगाह ना करने के कारण वह घबरा जाती है।

वैसे देखा जाए; तो पीरियड के दौरान हर किसी लड़की या महिला को थोड़ी बहुत तकलीफ तो होती ही है। पीरियड के दौरान मांसपेशियों की ऐंठन, कमर दर्द, सिर दर्द, पैर दर्द, पेट में दर्द, पेट के निचले हिस्से में ऐठन, ब्लीडिंग होना जैसे समस्याओं का सामना करना पड़ता ही है।

ऐसे में, अगर लड़की को इस बारे में पहले से ही पता ना हो; तो पीरियड के दौरान होने वाली इन समस्याओं के कारण वह काफी परेशान हो जाती है और कई बार घबरा भी जाती हैं। इसी के साथ, जैसे ही किशोरावस्था में पीरियड्स शुरू होते हैं; वैसे वैसे लड़की के शारीरिक विकास में भी काफी तेजी दिखाई देने लगती हैं।

लड़की के प्यूबिक एरिया में बाल आना, अंडर आर्म्स में बाल आना, छाती का आकार बढ़ना, निपल्स में बदलाव दिखाई देना, योनि से सफेद पानी आना, सफेद पानी से बदबू या विशिष्ट प्रकार की गंध आना जैसे अनगिनत बदलावों का सामना एक लड़की किशोरावस्था के दौरान करती है।

पीरियड दर्दनाक हो सकते हैं। इसीलिए, अगर आपकी बच्ची को अधिक दर्दनाक पीरियड हो रहे हैं; तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। इसी के साथ, अपने बच्चे को पीरियड आने से पहले पीरियड के बातों से आगाह जरूर करें और उसे पूरी जानकारी देने की कोशिश करें।

लड़की के पीरियड्स कितने दिनों का होता है ? Ladki Ka Periods Kitne Dino Ka Hota Hai ?

आमतौर पर, लड़की तथा महिलाओं को ३ से ५ दिनों तक पीरियड रहते हैं और पीरियड ब्लीडिंग होती हैं। कुछ लड़कियों में यह दिन २ से ६ दिनों तक ब्लीडिंग हो सकती है और पीरियड रह सकते हैं। इसी के साथ, ज्यादातर लड़कियों तथा महिलाओं में मासिक चक्र २८ से ३५ दिनों का होता है। जब तक लड़की गर्भवती नहीं होती; तब तक यह प्रक्रिया प्राकृतिक रूप से हर महीने शुरू ही रहती है |

लड़की के पीरियड महीने में कब आता है ? Ladki Ka Period Mahine Me Kab Ata Hai ?

हर लड़की की पीरियड की डेट अलग-अलग होती है। इसी के साथ, हर लड़की का शारीरिक स्वास्थ्य और पीरियड के प्रति शारीरिक प्रतिक्रियाएं भी अलग अलग हो सकती है। शारीरिक विकास में तेजी आने के कारण शरीर में काफी सारे बदलाव देखने को मिलते हैं। इसी कारण, लड़कियों में पीरियड के दिन और पीरियड ब्लीडिंग अलग-अलग हो सकती हैं। आमतौर पर, मासिक चक्र २८ से ३५ दिनों का होता है और कई लड़कियों में यही चक्र का दौर देखा जाता है। अगर शरीर में कुछ अनचाहे बदलाव हो जाते हैं; तो ऐसे में लड़की के पीरियड्स जल्दी या लेट आने की संभावना भी होती है।

पीरियड के दौरान लड़की को क्या-क्या होता है ? Periods Me Ladki Ka Kya Hota Hai ?

पीरियड के दौरान लड़की को क्या होता
पीरियड के दौरान लड़की को क्या होता

हम सभी जानते हैं; कि मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को तथा लड़कियों को कितनी सारी शारीरिक पीड़ा का सामना करना पड़ता है। किशोरावस्था की लड़की हो, युवावस्था की महिला हो या अधेड़ उम्र की औरत हो; पीरियड के दौरान हर किसी को कुछ ना कुछ तकलीफ जरूर होती है।

लड़की के पीरियड्स शुरू हो जाने के बाद हर महीने आने वाली मासिक धर्म की प्रक्रिया अपने साथ कुछ दर्द तथा तकलीफें भी लेकर आती है। लड़कियों को और महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान पेट का दर्द, मांसपेशियों की ऐंठन, सिर दर्द, कमर दर्द जैसे तकलीफों का सामना करना पड़ता है।

इन सभी को “मेंस्ट्रूअल क्रैंप्स” के नाम से जाना जाता है। थोड़ी बहुत तकलीफ मासिक धर्म के दौरान बहुत सामान्य बात मानी जाती है। क्योंकि, यह मासिक धर्म की प्रक्रिया ऐसी ही है; जिसमें आपको दर्द होने की संभावना रहती है।

लेकिन, अगर लड़की को या महिला को मासिक धर्म के दौरान अधिक दर्द और पीड़ा का सामना करना पड़ता है; जो असहनीय होता है; तो आपको डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक होता है।

कई बार कुछ महिलाओं को तथा लड़कियों को पीरियड आने के कुछ दिन पहले ही कुछ लक्षण दिखाई देते हैं; जिनको “प्रीमेंस्ट्रूअल सिंड्रोम” कहा जाता है। इन पीएमएस के तहत लड़कियों को और महिलाओं को चिड़चिड़ा हट महसूस होना, मूड स्विंग्स, पेट फूलना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।

पहली बार पीरियड आता है तब क्या क्या करना चाहिए ? First Time Periods Ane Par Kya Karna Chahiye ? 

जब लड़की के पहली बार पीरियड आते हैं; तब उनकी माताएं बहुत ही चिंतित और परेशान रहती हैं। क्योंक,  पीरियड आने के बाद लड़की थोड़ी घबरा जाती है और असमंजस में रहती है। मासिक धर्म को लेकर लड़की माताओं से इतने सवाल पूछती है; कि उसके जवाब देते हुए माताओं के पसीने छूट जाते हैं!

ऐसा इसलिए होता है; क्योंकि हमारे समाज में आज भी लड़कियों को पीरियड के बारे में पहले से ही आगाह करने से परहेज किया जाता है। हमारे भारत देश के कुछ ग्रामीण इलाकों में आज भी मासिक धर्म को अछूत और अपवित्र माना जाता है।

लेकिन, यह गलत बात है। आजकल के मॉडर्न जमाने में जहां माता-पिता और बच्चों के संबंध में काफी बदलाव दिखाई देने लगा है और वह एक दूसरे के प्रति बहुत ही संवेदनशील महसूस करने लगे हैं; ऐसे में माताओं को अपने बच्चियों को मेंस्ट्रूअल साइकिल शुरू होने से पहले ही कुछ चीजों का के बारे में आगाह करना बहुत ही आवश्यक हो गया है।

पहली बार पीरियड आने पर कुछ चीजों का ध्यान रखना बहुत ही जरूरी होता है; जो आपकी बच्चे की सेहत के लिए और उसकी जानकारी के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती हैं।

१) हायजेनिक पीरियड्स प्रोडक्ट्स –

लड़की के पहली बार पीरियड आने पर माताओं को सबसे पहले हाइजीनिक पीरियड प्रोडक्ट का इस्तेमाल करना शुरू करना चाहिए और उसके बारे में अपने लड़की को पूरी जानकारी देनी चाहिए। सबसे पहले, पीरियड प्रोडक्ट जैसे; टेंपोन, मेंस्ट्रूअल कप या सेनेटरी पैड के बारे में अपनी बच्ची को जानकारी दें और उसे इस्तेमाल करने का तरीका भी सिखाए। सेनेटरी पैड को समय-समय पर बदलने की सलाह देने की भी आवश्यकता होती है; ताकि आपकी बच्ची को कोई इंफेक्शन ना हो।

पहले के जमाने में लोग सेनेटरी पैड का इस्तेमाल नहीं करते थे। इसीलिए, लड़कियों को कपड़े का ही इस्तेमाल करना पड़ता था; जिसको सुखाने में और धोने में भी हिचकिचाहट महसूस होती थी। लेकिन, आजकल के जमाने में यह बात लगभग बंद ही हो गई है और लड़कियां पीरियड के दौरान टेम्पोन, सेनेटरी पैड का इस्तेमाल करने लगी है।

२) पीरियड के दौरान होने वाली परेशानियां –

सबसे पहले, माताओं को मासिक धर्म के दौरान होने वाली तकलीफ से भी लड़कियों को रूबरू कराना चाहिए। ऐसा करने से मासिक धर्म के दौरान लड़कियां घबराती नहीं है और किसी भी असमंजस में नहीं रहती हैं। पीरियड के दौरान होने वाली तकलीफ के बारे में जानकर वह खुद को पीरियड के लिए तैयार मानने लगती हैं। पीरियड के दौरान होने वाली ब्लीडिंग कम या ज्यादा भी हो सकती है; इसके बारे में भी आप अपनी लड़की को बताएं।

इसी के साथ, किसी बच्चे के पीरियड २ से ५ दिनों के हो सकते हैं; तो कई बार ७ दिनों के भी हो सकते हैं; इस बात से भी अपने बच्चे को आगाह कराए। कोई भी असामान्य बात होने पर अपने बच्चे से बात करें और उसकी परेशानी जानने की कोशिश करें। शुरुआत में मां को ही पहल करनी पड़ती है; क्योंकि बच्चियों के लिए पीरियड्स के दिन नए होते हैं।

३) पीरियड किट- 

आजकल के जमाने में जहां मां-बाप दोनों ही काम करते हैं और प्रोफेशनली अपने-अपने जिम्मेदारियां निभाते हैं; वहां पर बच्चों को भी आत्मनिर्भर बनने की जरूरत होती है। कई बच्चियों के पीरियड काफी कम उम्र में यानी ८ से ९ साल में भी शुरू हो सकते हैं। इसीलिए, आप अपने लड़की के लिए पीरियड किट तैयार कर सकती हैं। आप अपने साथ ही एक पीरियड किट हमेशा रखें; ताकि जब भी आपकी बेटी को पहली बार पीरियड आए, तब आप उसकी मदद कर सके।

पीरियड किट में टिशु पेपर, सेनेटरी नैपकिन दो से तीन और दो अंडरवियर रखे। ऐसा किट आप अपने पास भी रखें और अपने बच्चे के स्कूल बाद में और ट्यूशन बैग में भी एक-एक रखें। जब भी पहली बार अपने बच्चे को पीरियड आ जाते हैं; तब अगर पीरियड किट तैयार रहेगा और उसके साथ रहेगा; तब उसके पीरियड आने पर भी उसे कोई दिक्कत महसूस नहीं होगी। इसी के साथ, पहले से ही अपने लड़की को मासिक धर्म के बारे में थोड़ी जानकारी जरूर दें; ताकि वह पहली बार घर के बाहर रहने पर पीरियड आने पर घबराएं नहीं।

 ४) हिचकिचाहट से बचें-

जब भी लड़की के पहले पीरियड शुरू होते हैं; तब कुछ माता-पिता उससे बात करने में हिचकिचाहट महसूस करते हैं। लेकिन, जब लड़की के पीरियड पहली बार आते हैं; तब उसके मन में कई सारे सवाल होते हैं। इसीलिए, उनके जवाब देने का आपका फर्ज बनता है। इसीलिए, आपको हमेशा ही अपने बच्चे से बात करने के वक्त हिचकिचाहट से दूर रहना चाहिए। माता, पिता या सिर्फ माता पिता अपने बच्चे के हर सवाल का जवाब देने के लिए हमेशा तैयार चाहिए। इसी के साथ, बच्चियों को भी बिना किसी हिचकिचाहट सबसे पहली बार पीरियड आने पर अपने मां से या बड़ी बहन से बात करनी चाहिए। लड़की अपने स्कूल टीचर से पीरियड के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकती हैं।

५) खुशियां मनाएं-

हमारे भारत देश में जहां कुछ जरूरी परंपराओं की वजह से महिलाओं को परेशानी होती है; तो कहीं कुछ परंपराओं की वजह से महिलाओं को खुशी भी होती हैं! ऐसी ही एक परंपरा है; भारत के कुछ इलाकों में पहली बार मासिक धर्म आने पर बच्चियों को मीठा खिलाना। जी हां! दोस्तों, हमारे भारत देश के कुछ ग्रामीण इलाकों में आज भी जब भी लड़की के पहली बार पीरियड आते हैं; तब उसे कुछ मीठा बनाकर खिलाया जाता है।

ऐसा इसलिए क्योंकि; एक लड़की के पीरियड आने पर वह मां बनने के लिए अंदरूनी रूप से तैयार होना शुरू हो जाती हैं और मां बनना इस दुनिया का सबसे सुखद अनुभव होता है। इसीलिए, जब भी किसी लड़की के पहली बार पीरियड शुरू होते हैं; तब टेंशन में आने की बजाय सेलिब्रेट करने की कोशिश करें; ताकि आपका बच्चा भी पीरियड के तरफ एक पॉजिटिव दृष्टिकोण से देख सके।

दोस्तों, आज के लिए बस इतना ही। उम्मीद है, आपको आज का यह ब्लॉग अच्छा लगा हो। धन्यवाद।

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