नमस्ते दोस्तों, कैसे हो आप? आज का आर्टिकल होने वाला है, प्रेगनेंसी में क्या सावधानियां बरतें ? इस विषय के बारे में। गर्भावस्था का दौर एक महिला के जीवन का सबसे नाजुक और सुंदर दौर होता है। गर्भावस्था के दौरान एक महिला को अपने सेहत का विशेष तौर पर ख्याल रखना जरूरी होता है; ताकि उसके गर्भ में पल रहे शिशु का संपूर्ण शारीरिक एवं मानसिक विकास संभव हो सके।

आजकल के जमाने में तो प्रेगनेंसी नेचरली कंसीव करना ही बहुत बड़ी बात हो गई है! क्योंकि, अनगिनत समस्याओं के चलते महिलाओं में इनफर्टिलिटी की समस्या बढ़ गई है; जिसके चलते वह प्राकृतिक तरीके से गर्भधारण करने में असमर्थ हो जाती है। महिलाओं के साथ-साथ पुरुषों में भी बढ़ती हुई यौन संबंधित समस्याएं पूरे ही विश्व भर में चिंता का विषय मानी जा रही है।

परंतु, प्रेगनेंसी कंसीव होने के बाद भी चुनौतियां बरकरार रहती हैं और गर्भ में पल रहे बच्चे तथा माता को किसी प्रकार की समस्या ना हो; इसके लिए हर कोई सतर्क रहता है। गर्भावस्था के दौरान एक महिला के शरीर में पूरे ही ९ महीने शारीरिक रूप से तेज बदलाव देखने को मिलते हैं।

इन समयाओ में विशेष तौर पर ब्रेस्ट में दर्द होना, ब्रेस्ट का साइज बढ़ना, उल्टी, मतली, एसिडिटी की समस्या होना, कब्ज की समस्या, सर दर्द, शरीर में भारीपन, पैरों में सूजन और दर्द की समस्या होना जैसी समस्याएं मुख्य तौर पर उभर कर आती हैं।

हालांकि, प्रेगनेंसी के दौरान यह समस्याएं अपने आप ठीक भी हो जाती हैं। परंतु, गर्भावस्था के दौरान गर्भ में पल रहे शिशु को किसी तरह का खतरा ना हो और गर्भपात ना हो सके; इसके लिए विशेष रूप से ध्यान देना भी बहुत ही जरूरी होता है। प्रेग्नेंट होने के बाद एक महिला को घर के सभी ही लोग बहुत सारी नसीहत देना शुरू कर देते हैं; कि गर्भावस्था के दौरान क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए? इन सब बातों को सुनते हुए महिला काफी असमंजस में आ जाती हैं और अचरज में पड़ जाती है; कि गर्भावस्था के दौरान खुद का ख्याल कैसे रखें और कौनसी सावधानियां बरती जानी चाहिए?

तो दोस्तों, आज का आर्टिकल ऐसी महिलाओं के लिए होने वाला है; जो प्रेग्नेंट है और प्रेगनेंसी के दौरान कौन सी सावधानियां बरती जानी चाहिए; इसके बारे में हम उनको पूरी जानकारी बताने वाले हैं।

प्रेगनेंसी में क्या सावधानियां और क्यों बरतनी चाहिए ? Pregnancy Ke Dauran Savdhaniya kyo barte ?

प्रेगनेंसी में सावधानियां
प्रेगनेंसी में सावधानियां

प्रेगनेंसी कंसीव करने के बाद एक महिला के शरीर में अंदरुनी रूप से काफी तेज बदलाव देखे जाते हैं; जो हर किसी महिला के लिए काम और ज्यादा स्वरूप में होते हैं। कुछ महिलाओं को इन बदलावों के चलते काफी पीड़ा का सामना करना पड़ता है और इन बदलावों के साथ एडजस्ट होने में महिलाओं को काफी समय भी लग जाता है।

प्रेगनेंसी कंसीव होने के बाद महिलाओं को शुरुआती दौर में जी मचलाना, उल्टी होना, एसिडिटी होना, कब्ज की समस्या होना तथा खाना खाने में परेशानी होना जैसी समस्याएं मुख्य तौर पर देखने को मिलती हैं। ऐसी अवस्था में भोजन करना और सही तरीके से नींद ले पाना; एक महिला के लिए सबसे चुनौती पूर्ण साबित होता है!

शरीर में होने वाले तेज हार्मोनल परिवर्तन रोज नए-नए लक्षण दिखता है; जिनको देखते हुए एक महिला काफी असमंजस में आ जाती है। साथ ही, गर्भावस्था के पहले तीन महीने में गर्भपात होने की संभावना भी सबसे अधिक होती हैं। इसीलिए, विशेष तौर पर महिलाओं को गर्भावस्था के पहले तिमाही में अपना विशेष ध्यान रखना जरूरी होता है।

अगर महिला अपने सेहत का गर्भावस्था के दौरान ठीक तरीके से ध्यान नहीं रख पाती हैं; तो गर्भ में पल रहे शिशु को का पोषण सही तरीके से नहीं हो पता है और उसका विकास कम होता है। ऐसा होने पर जन्म होने के बाद भी शिशु में कई सारे डिफेक्ट्स हो सकते हैं और आगे जाकर उसके शारीरिक एवं मानसिक विकास में बाधा उत्पन्न हो सकती हैं।

गर्भावस्था के दौरान आखिरी के महीने में भी महिलाओं को विशेष तौर पर अपना सेहत का ख्याल रखना होता है; क्योंकि गर्भ में बच्चे का वजन बढ़ जाता है। ऐसे में, महिलाओं के पैरों में सूजन पैदा होना, पैरों में दर्द होना, कमर दर्द, पीठ दर्द जैसी समस्याएं काफी मात्रा में बढ़ जाती हैं। इन सभी समस्याओं को काlम करने के लिए महिलाओं को गाइनेकोलॉजिस्ट की सलाह के अनुसार अपने खानपन का विशेष ध्यान रखना और हल्के-फुल्के एक्सरसाइज करना बहुत ही आवश्यक माना जाता है।

प्रेगनेंसी कंसीव होने के बाद महिला के घर वाले भी उसे कई सारी नसीहत देते हैं और उसका विशेष तौर पर ख्याल रखते हैं; जिसके चलते गर्भ में पल रहे शिशु पर किसी भी तरह का खतरा नहीं होता है और ना ही गर्भपात होने की संभावनाएं बचती हैं।

प्रेगनेंसी में क्या सावधानियां बरतें ? Pregnancy Me Kya Saavdhaniya Barte ?

प्रेगनेंसी से में निम्नलिखित सावधानियां बरतना मां और बच्चे की सेहत के लिए बहुत ही जरुरी होता है।

१) हाइड्रेशन बेहद जरूरी –

प्रेगनेंसी के दौरान डॉक्टर के द्वारा और घर के सभी सदस्यों के द्वारा महिला को ज्यादा से जादा पानी पीने की सलाह दी जाती है। क्योंकि, गर्भ में पल रहे शिशु को पानी की कमी ना हो सके। इसलिए, गर्भवती महिला को दिनभर में कम से कम तीन से चार लीटर पानी सेवन करने के साथ-साथ एक से दो ग्लास फलों के जूस का सेवन भी करना चाहिए। साथ ही, हफ्ते में दो से तीन बार नारियल का पानी भी जरूर पीना चाहिए।

२) संतुलित आहार –

संतुलित आहार के तहत एक महिला को गर्भावस्था के दौरान सभी प्रकार की दालें, सभी प्रकार के साबुत अनाज, सभी प्रकार की हरी पत्तेदार सब्जियां, ताजे फल, फलों के जूस, सब्जियों के सूप, पनीर, दही, अंडे, स्प्राउट, दूध एवं दूध से बने पदार्थ जैसे पोषक तत्वों से युक्त पदार्थ का सेवन जरूर करना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान एक महिला को बाहर का खाना बिल्कुल भी नहीं खाना चाहिए।

गर्भावस्था के दौरान महिला को बाहर का खाना खाने की सबसे ज्यादा इच्छा होती है। परंतु, बाहर का खाना खाने से महिला को फूड इंफेक्शन हो सकता है और ऐसी स्थिति में महिला को एंटीबायोटिक देने की सलाह डॉक्टर नहीं देते हैं। ऐसे में, फूड इंफेक्शन से बचना ही आपके लिए बेहतर होता है। अगर पॉसिबल हो सके; तो डाइटिशियन या न्यूट्रीशनिस्ट की सलाह लेकर एक प्रॉपर डाइट चार्ट बना लेना चाहिए। क्योंकि, डॉक्टर के सलाह लेने पर महिला सही तरीके से संतुलित भोजन कर पाती है और उससे बच्चे को भी कोई नुकसान नहीं हो पता है।

३) समय-समय पर जांच –

गर्भावस्था के तीनों ही तिमाही में जब भी डॉक्टर आपको फॉलो अप के लिए बुलाते हैं; तब आपको चेकअप के लिए जरूर जाना चाहिए। डॉक्टर पूरे ही गर्भावस्था में कई बार सोनोग्राफी करवाने की सलाह भी दे सकते हैं; उसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और ब्लड टेस्ट भी जरूर करवाना चाहिए। यह सभी रिकॉर्ड्स आपके बच्चे की सेहत को दर्शाते हैं और आपकी सेहत को भी दर्शाते हैं। इसीलिए, प्रेगनेंसी के पूरे ही ९ महीने में समय-समय पर डॉक्टर द्वारा की जाने वाली जांचों को जरूर करें और उसके अनुसार ही दवाइयां का सेवन करें।

४) गर्भावस्था के दौरान सफर –

आमतौर पर, गर्भवती महिला को ज्यादा लंबे समय तक एक ही जगह पर नहीं बैठे रहना चाहिए और ज्यादा लंबा सफर भी नहीं करना चाहिए। कई बार प्रेगनेंसी में कॉम्प्लिकेशन होने की वजह से डॉक्टर यात्रा न करने की सलाह देते हैं और ऐसी अवस्था में महिला को बिल्कुल भी यात्रा नहीं करनी चाहिए। गर्भावस्था के दौरान सफर करना चाहते हैं; तो डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही करें। क्योंकि, गर्भावस्था में सफर के दौरान शिशु को किसी भी प्रकार की हानि होने पर गर्भपात होने की संभावना बनी रहती हैं।

५) गर्भावस्था में नहाना –

गर्भावस्था के दौरान शरीर में होने वाले अनगिनत बदलावों की वजह से महिलाओं को शारीरिक थकावट एवं कमजोरी, मांसपेशियों में ऐंठन, जकड़न, पीठ दर्द, कमर दर्द, पैरों में सूजन और पैरों का दर्द जैसी अनगिनत प्रकार की समस्याएं सताने लगती हैं। साथ ही, इन समस्याओं से पीछा छुड़ाने के लिए महिलाओं को किसी भी प्रकार की दवा का सेवन भी नहीं करना होता है। ऐसे में, महिलाएं शरीर की ऐंठन को दूर करने के लिए गर्भावस्था के दौरान गर्म पानी से नहाना पसंद करती हैं।

परंतु, गर्भावस्था के दौरान अतिरिक्त गर्म पानी से नहाना पूरी तरीके से वर्जित माना गया है। कई महिलाएं बाथटब में नहाती है और गर्म पानी का इस्तेमाल करती है; जिसके चलते उनके शरीर का तापमान बढ़ जाता है और उसका बहुत ही बुरा असर बच्चों की सेहत पर पड़ता है। ऐसे में, महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान हल्के गुनगुने पानी से ही नहाना चाहिए और अतिरिक्त गर्म पानी से बिल्कुल भी नहीं नहाना चाहिए।

६) तनाव से दूर रहे –

गर्भावस्था के दौरान शरीर में होने वाले अनगिनत प्रकार के हार्मोनल परिवर्तन और शारीरिक परिवर्तन एक महिला को मानसिक रूप से काफी तनाव में डाल देते हैं। शरीर में होने वाले बदलावों से अनजान एक महिला गर्भावस्था के दौरान काफी चिंताग्रस्त हो जाती है और घबराहट महसूस करने लगते हैं। अपने गर्भ में पल रहे शिशु की सेहत को लेकर एक महिला हमेशा चिंता ग्रस्त रहती है और आने वाली डिलीवरी के समय होने वाला दर्द; इन सभी बातों को सोते हुए एक महिला घबराहट महसूस करने लगते हैं।

परंतु, गर्भावस्था के दौरान अतिरिक्त शारीरिक एवं मानसिक तनाव से हमेशा बचना चाहिए और घबराहट होने पर किसी के साथ बात जरूर करनी चाहिए। साथ ही, घबराहट एवं तनाव महसूस होने पर महिलाओं को इसे राहत पाने के लिए सुबह उठकर ध्यान धारणा, प्राणायाम या हल्की-फुल्की एक्सरसाइज अवश्य करनी चाहिए। ऐसा करने से मानसिक तनाव नहीं आता है और घबराहट महसूस नहीं होती हैं।

७) गर्भावस्था के दौरान दवाइयों का सेवन –

आमतौर पर, आपने देखा होगा; कि एक गर्भस्थ महिला को बुखार आने पर घर में पैरासिटामोल या क्रोसिन का सेवन करने से घर वाले लोग भी मना कर देते हैं। क्योंकि, गर्भवती महिला को किसी भी दवाई का सेवन बिना डॉक्टर की सलाह के बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। विविध प्रकार की दवाइयां में विविध प्रकार के केमिकल्स मौजूद होते हैं; जिनके बच्चे पर क्या असर होगा; इसके बारे में हमें कुछ भी पता नहीं होता है।

इसीलिए, गर्भावस्था के दौरान होने वाली पीड़ा को सहने के बजाय महिला के पास और कोई चारा नहीं बचता है! गर्भावस्था के दौरान अगर महिला को किसी भी प्रकार की कोई भी शारीरिक समस्या हो रही है; तो वह तुरंत गाइनेकोलॉजिस्ट की सलाह ले और अपने आप से किसी भी दवाई का सेवन करने से बचें।

८) गर्भावस्था में नशे से दूरी –

गर्भावस्था के दौरान एक महिला को शराब, धूम्रपान, तंबाकू के पदार्थ या अन्य नशीली चीजों से पूरी तरीके से दूरी बनाना सबसे महत्वपूर्ण बात मानी जाती है। आजकल महिलाएं भी बिंदास होकर शराब तथा धूम्रपान का सेवन करने लगी है; जिसकी उन्हें लत लग जाती है। परंतु, गर्भवती होने के बाद भी अगर यह लत आप जारी रखती है; तो धूम्रपान एवं शराब का सेवन करने के बाद आपके गर्भ में पल रहे शिशु के मानसिक तथा शारीरिक स्वास्थ्य पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता है। गर्भावस्था के दौरान नशा करने से गर्भ में पल रहे शिशु में कई सारे बर्थ डिफेक्ट्स हो सकते हैं और उसका शारीरिक विकास भी संपूर्ण रूप से संभव नहीं हो पता है। ऐसा बच्चा जन्मजात विकृत पैदा हो सकता है; इसीलिए गर्भावस्था के दौरान नशे से दूर रहना ही आपके लिए बेहतर होगा।

९) गर्भावस्था के दौरान सेक्स –

गर्भावस्था के दौरान आपके सेक्स रूटिन को मेंटेन करने के लिए सबसे पहले आपके डॉक्टर की सलाह अवश्य लें। क्योंकि, गर्भावस्था का दौरा काफी नाजुक होता है और एक महिला के शरीर में अनगिनत बदलाव होते हैं। ऐसे में, अगर आप बिना डॉक्टर की सलाह के गर्भावस्था के दौरान सेक्स करते हैं; तो इससे परेशानियां उत्पन्न हो सकती हैं। जिन महिलाओं की प्रेगनेंसी में थोड़ी कॉम्प्लिकेशन होते हैं; ऐसी महिलाओं को तो गर्भावस्था के दौरान सेक्स करने से पहले एक बार डॉक्टर से बात जरूर करनी चाहिए। साथ ही, प्रेगनेंसी के दौरान सेक्स करने के रूटीन हर तिमाही में अलग होते हैं; जिनकी सही जानकारी आपको सिर्फ डॉक्टर ही दे पाते हैं।

तो दोस्तों, आज के लिए बस इतना ही। उम्मीद है, आपको आज का यह ब्लॉग अच्छा लगा हो। धन्यवाद।

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