नमस्ते दोस्तों, कैसे हो आप? आज का आर्टिकल होने वाला है, एक महीने में दो बार पीरियड आने के कारण और उपाय इस विषय के बारे में दोस्तों हम सभी जानते हैं; महिलाओं में मासिक धर्म की प्रक्रिया हर महीने एक बार होती है। सामान्य तौर पर महीने में सिर्फ एक बार होने वाली यह प्रक्रिया अपने साथ कई सारी परेशानियां लेकर भी आती हैं।

कई महिलाएं माहवारी के दौरान अतिरिक्त रक्तस्त्राव या कम ब्लड फ्लो, माहवारी के दौरान पेट के निचले हिस्से में दर्द, मांसपेशियों में खिंचाव, सिर दर्द, पैरों में दर्द, कमर दर्द जैसी समस्याओं का सामना करती है। महावारी हर महीने आने वाली एक प्राकृतिक प्रक्रिया है; जिसकी आमतौर पर २८ दिनों की साइकिल होती है। अध्ययन के अनुसार, महिलाओं में २१ से ३५ दिनों की माहवारी की साईकिल हो सकती है।

हर महिला की माहवारी अलग-अलग होती है; इसलिए उस दौरान होने वाले अनुभव भी अलग-अलग हो सकते हैं। लेकिन, कुछ महिलाओं को महीने में दो बार पीरियड आते हैं। हर महीने आने वाली यह परेशानी महिलाएं नजरअंदाज कर देती हैं; जो बहुत ही गलत बात होती हैं। महिलाओं में एक महीने में दो बार माहवारी आने के पीछे अनगिनत कारण मौजूद होते हैं।

जैसे; अनियमित जीवनशैली, खराब दिनचर्या, व्यायाम का अभाव, असंतुलित आहार का अत्यधिक सेवन, शराब, धूम्रपान जैसे नशीली चीजों का अत्याधिक सेवन, बढ़ता हुआ शारीरिक एवं मानसिक तनाव, प्रदूषण, गर्भाशय से जुड़ी बीमारियां तथा पीसीओडी, पीसीओएस जैसे समस्त कारणों की वजह से महिलाओं में महावारी महीने में दो बार आती है।

आमतौर पर, महीने में सिर्फ एक बार आने वाली माहवारी की प्रक्रिया अगर महीने में दो बार आती है; तो इसके पीछे कुछ ना कुछ अनचाहे बदला जरूर होंगे और कुछ ना कुछ गलत कारण जरूर होंगे। महीने में दो बार पीरियड आने की समस्या को महिलाओं को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए; क्योंकि यह किसी बड़े खतरे की घंटी और बड़ी बीमारी का संकेत भी माना जाता है।

कई महिलाओं को शरीर में होने वाले बीमारियों के बारे में पता नहीं होता है। लेकिन, ऐसी महिलाओं में माहवारी का चक्र बदलते हुए महीने में एक बार आने की वजह दो बार माहवारी आती है। ऐसी परिस्थिति में उनको इस समस्या को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।

तो आइए दोस्तों, आज जानेंगे; एक महीने में दो बार पीरियड आने के कारण तथा उपाय के बारे में पूरी जानकारी।

क्या महीने में दो से तीन बार पीरियड आना नॉर्मल है ? Month me Bar Bar Periods

महीने में दो से तीन बार पीरियड आना
महीने में दो से तीन बार पीरियड आना

जी नहीं! महीने में दो से तीन बार माहवारी होना किसी बड़े खतरे को दर्शाता है; जिसे महिलाओं को नजरअंदाज बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। महिलाओं के महावारी के बारे में कई सारे रिसर्च हुए हैं और हर एक रिसर्च में यही पाया गया है; कि सामान्य तौर पर महिलाओं को महीने में सिर्फ एक बार ही माहवारी आती है। साथ ही, महिलाओं में माहवारी की साईकिल औसतन २८ दिनों की होती है।

अध्ययन के अनुसार, महिलाओं में माहवारी की साइकिल २१ से ३५ दिनों की हो सकती हैं; इन दिनों के बीच उनकी माहवारी की प्रक्रिया कभी भी हो सकती है। परंतु, अगर किसी कारणवश महिलाओं में महीने में दो से तीन बार माहवारी आ रहे हैं; तो यह बहुत ही चिंताजनक विषय हो सकता है।

सामान्य तौर पर, महीने में एक बार आने वाली माहवारी की प्रक्रिया महीने में अगर दोबारा आने लगती हैं; तो यह किसी बड़ी बीमारी का या स्वास्थ्य संबंधित समस्या का संकेत और लक्षण भी माना जाता है। ऐसी परिस्थिति में महिलाओं को नजरअंदाज बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए और तुरंत गाइनेकोलॉजिस्ट की सलाह लेनी चाहिए।

अगर महिलाओं को लगभग दो से तीन महीनों तक महीने में दो बार माहवारी की समस्या हो रही है; तो यह गर्भाशय से जुड़ी किसी बीमारी का संकेत हो सकता है और किसी अन्य स्वास्थ्य संबंधित समस्या के लक्षण भी माने जाते हैं। लेकिन, एक महीने में दो से तीन बार माहवारी आना; किसी भी परिस्थिति में नार्मल नहीं होता है, यह किसी असामान्य बदलाव के संकेत होते हैं और पूरी तरीके से अबनॉर्मल होता है।

महीने में दो बार पीरियड आने के क्या कारण हो सकते हैं ? Mahine Me Do Bar Periods Ane ke Karan

दोस्तों, निम्नलिखित कारणों की वजह से महिलाओं को महीने में दो बार पीरियड आने की समस्या हो सकती हैं।

१) किशोरावस्था या कम उम्र –

किशोरावस्था के दौरान जब एक लड़की के महावारी शुरू होती है; तब उसके शरीर में काफी सारे हार्मोनल बदलाव देखे जाते हैं। इस कारणवश, किशोरावस्था के दौरान या कम उम्र में लड़कियों के एक महीने में दो बार पीरियड हो सकते हैं। कम उम्र में या प्यूबर्टी के बाद शुरू होने वाली माहवारी की मामलों में पीरियड्स रेगुलर होने में लगभग ३ से ४ साल का समय लग जाता है।

२) पेरिमेनोपॉज –

दोस्तों, पेरिमेनोपॉज का समय लगभग १० सालों तक चल सकता है। जब महिलाएं अपने रजोनिवृत्ति की ओर बढ़ रही होती हैं; उस स्थिति को पेरिमेनोपॉज कहा जाता है। इस स्थिति के दौरान महिलाओं के शरीर में काफी सारे बदलाव होते हैं; जिसके चलते अमूमन उनके पीरियड्स महीने में दो बार हो जाते हैं और इस दौरान पीरियड्स में काफी अनियमितता देखी जाती हैं।

३) थायराइड –

दोस्तों, हमारे गले के सामने की ओर थायराइड नामक ग्रंथ ही मौजूद होती हैं; जो हमारे शरीर के कई सारे कार्य प्रणाली को नियंत्रित करने के लिए जिम्मेदार होती हैं। थायराइड ग्लैंड से सिक्रेट होने वाले थायराइड हार्मोन की वजह से हमारा मेटाबोलिज्म तथा हमारे शरीर के हार्मोन के स्तर का संतुलन नियंत्रित किया जाता है। ऐसे में, महावारी की अनियमितता थायराइड के असंतुलन को दर्शाती है। हाइपोथायरायडिज्म तथा हाइपोथायरायडिज्म जैसी समस्याएं होने पर महिलाओं के मासिक चक्र पर भी उसका प्रभाव पड़ता है; जिसके चलते थायराइड की समस्या होने पर महिलाओं में माहवारी एक महीने में दो बार हो सकती हैं।

४) गर्भाशय से जुड़ी समस्याएं –

महिलाओं के जीवन काल में उनके गर्भाशय का स्वास्थ्य सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यौन रूप से देखा जाए; तो महिलाओं के गर्भाशय का हिस्सा और उसका स्वास्थ्य बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। परंतु, अगर गर्भाशय से जुड़ी समस्याएं हो जाती हैं; तो महिलाओं के मासिक चक्र के ऊपर भी उसका प्रभाव जरूर पड़ता है। पिछले कुछ सालों से महिलाओं में गर्भाशय से जुड़ी समस्याएं जैसे यूटरिन फाइब्रॉयड तथा एंडोमेट्रियोसिस यह समस्याएं बढ़ती हुई नजर आ रहे हैं। इन समस्याओं के चलते भी महिलाओं में मासिक चक्र के ऊपर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता है और महिलाओं के एक ही महीने में दो से तीन बार पीरियड आ सकते हैं।

५) पेल्विक इन्फ्लेमेटरी डिसीज –

पेल्विक इन्फ्लेमेटरी डिजीज की समस्या के तहत महिलाओं के रिप्रोडक्टिव ऑर्गन बैक्टीरिया से संक्रमित हो जाते हैं और यह डिसीज होने पर महिलाओं के मासिक चक्र के ऊपर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। पेल्विक इन्फ्लेमेटरी डिजीज की समस्या होने पर कई महिलाओं को असामान्य रक्तस्त्राव होता है और उन्हें महीने में दो बार पीरियड आने की समस्या हो जाती हैं।

६) पीसीओडी –

पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज की इस स्थिति के दौरान महिलाओं के रिप्रोडक्टिव हार्मोन असंतुलित हो जाते हैं; जिसके चलते उन्हें असामान्य रक्तस्त्राव की समस्या हो जाती हैं। पीसीओडी की समस्या होने पर भी महिलाओं को एक महीने में दो बार पीरियड आने की समस्या हो जाती हैं।

७) अन्य कारण –

महिलाओं में एक ही महीने में दो बार पीरियड आने के कई अन्य कारण भी मौजूद होते हैं। जैसे; अतिरिक्त तनाव, डिप्रेशन, मोटापा, डायबिटीस, उच्च रक्तचाप तथा मोटापा जैसी अन्य स्वास्थ्य संबंधित समस्या के वजह से भी महिलाओं के मासिक चक्र बुरी तरीके से प्रभावित हो सकता है और उनमें एक ही महीने में दो बार पीरियड आने की समस्या उभर कर सकती हैं।

महीने में दो बार पीरियड आने से कैसे रोके ? Mahine Me Do Bar Period Ane se Kaise Roke ?

महिलाओं में एक ही महीने में दो बार पीरियड की समस्या को नियंत्रित करने के लिए तथा उससे सुरक्षित रहने के लिए महिलाएं निम्नलिखित बातों का ध्यान रख सकती हैं।

  1. हेल्दी लाइफ़स्टाइल को मेंटेन करते हुए महिलाएं महीने में दो बार पीरियड आने की समस्या से सुरक्षित रह पाती हैं।
  2. स्वस्थ आहार का सेवन तथा जंक फूड का सेवन बिल्कुल भी ना करने से महिलाएं महीने में दो बार पीरियड आने से रोक सकती हैं।
  3. नियमित रूप से एक्सरसाइज करना, योग करना तथा अपने आप को फिट रखना; ऐसा करने से महिलाएं महीने में दो बार पीरियड आने से रोक सकती हैं।
  4. अतिरिक्त तनाव को मैनेज करने के लिए और तनाव मुक्त रहकर हमेशा खुश रहने की कोशिश करने के लिए महिलाएं अपने जीवन में ध्यान धारणा, मेडिटेशन, योग प्राणायाम जैसे अच्छी आदतों को जरूर अपनाएं।
  5. पर्याप्त मात्रा में आराम करना और नींद लेने से महिलाएं महीने में दो बार पीरियड आने से रोक सकती हैं।
  6. महावारी के दौरान पीरियड हाइजीन को मेंटेन करना सीखे; जिससे आप जननांगों के हिस्से में होने वाले संक्रमण से सुरक्षित रह पाती हैं।
  7. अगर आप बर्थ कंट्रोल पिल्स का सेवन करते हैं; तो उनका नियमित रूप से समय पर ही सेवन करना चाहिए।
  8. अगर महिलाओं को पहले से ही किसी स्वास्थ्य संबंधी समस्या की परेशानी है; तो उसका समय रहते इलाज करवाएं और डॉक्टर की सलाह अनुसार उसके दवाइयों का सेवन करते रहे।
  9. एक ही महीने में दो बार पीरियड की समस्या से सुरक्षित रहने के लिए महिलाओं को अपने वजन को नियंत्रित रखना बहुत ही आवश्यक होता है। इसीलिए, महिलाएं अपने वजन को नियंत्रित करने के लिए अपने आहार को और जीवनशैली को स्वस्थ बनाए रखें।

बार बार पीरियड की समस्या हो रही है तो क्या करना चाहिए ? Bar Bar Period Ki Samasya

बार बार पीरियड की समस्या
बार बार पीरियड की समस्या

दोस्तो, महिलाओं में बार-बार पीरियड्स की समस्या होने पर उनको तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए और उनके बताए दिशा निर्देशों के अनुसार उसका इलाज करवाना चाहिए। डॉक्टर के द्वारा बताए गए इलाज के साथ-साथ महिलाएं घर पर रह ही कुछ विशिष्ट प्रकार के उपाय अपना सकती है; जिससे वह बार-बार पीरियड के समस्या के लक्षणों को काफी हद तक नियंत्रित करने में सफल हो पाती है।

१) विटामिन युक्त खुराक –

अध्ययन के अनुसार, शरीर में विटामिन डी की कमी होने पर महिलाओं को अनियमित माहवारी की समस्या हो सकती है; जिसके चलते उनके पीरियड्स एक ही महीने में दो से तीन बार आ सकते हैं। इस समस्या को नियंत्रित करने के लिए महिलाओं को अपने आहार में विटामिन डी युक्त पदार्थों का सेवन करना चाहिए। विटामिन डी के साथ-साथ महिलाओं को कैल्शियम युक्त पदार्थों का सेवन भी करना चाहिए। जैसे; पनीर, दूध, दही, घी, अंडे, सोया प्रोडक्ट्स, साबुत अनाज, फल, हरी पत्तेदार सब्जियां आदि पदार्थों का सेवन करने से महिलाओं के शरीर में विटामिन डी तथा कैल्शियम की कमी नहीं होती है और उनके माहवारी नियमित होने में भी मदद मिल पाती है।

२) योग प्राणायाम –

दोस्तों, योग प्राणायाम का अभ्यास करने से हमें कई सारे स्वास्थ्यवर्धक लाभ मिलते हैं तथा कई सारी स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं से छुटकारा भी मिल पाता है। रोजाना तौर पर योग तथा प्राणायाम का नियमित रूप से किया गया अभ्यास महिलाओं के मासिक चक्र की अनियमितता की समस्या को काफी हद तक कंट्रोल कर पाता है। अगर महिलाएं नियमित रूप से दिन में कम से कम ३५ से ४० मिनट तक योग तथा प्राणायाम का अभ्यास करती हैं; तो उनकी माहवारी की अनियमितता की समस्या ठीक हो जाती है और उनके पीरियड रेगुलर हो जाते हैं। इरेगुलर पीरियड की समस्या के लिए महिलाएं विशेषज्ञ के निगरानी में कुछ विशिष्ट प्रकार के योग तथा प्राणायाम का अभ्यास कर सकती है; जिसके चलते इस समस्या से छुटकारा पाने में उन्हें सफलता जरूर हासिल होती है।

३) वजन नियंत्रित रखें –

अपने वजन को नियंत्रित रखने के लिए महिलाओं को हमेशा ही प्रयत्नशील रहना चाहिए। जिंदगी भर अपने वजन को नियंत्रित रखते हुए और स्वस्थ वजन को मेंटेन करते हुए महिलाएं कई सारी परेशानियों से अपने आप ही छुटकारा पा सकती हैं। अध्ययन के अनुसार, जिन महिलाओं का वजन सामान्य से या औसतन से अधिक होता है; वह महिलाएं मोटापे का शिकार हो जाती हैं। ऐसी महिलाओं में अनियमित माहवारी की समस्याएं ज्यादातर देखी जाती है।

इसलिए, महिलाओं को ना ज्यादा ना कम; परंतु एक स्वस्थ वजन नियंत्रित रखना बहुत ही आवश्यक माना जाता है। वजन को नियंत्रित रखने के लिए महिलाएं रोजाना एक्सरसाइज करें, अपनी जीवनशैली को हेल्थी बनाएं और स्वस्थ आहार का सेवन करें। साथ ही, अपने वजन को नियंत्रित रखते हुए महिलाएं कई अन्य प्रकार के स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं जैसे हाई बीपी, हाई कोलेस्ट्रोल, मोटापा, डायबिटीज इन से भी काफी हद तक सुरक्षित रह सकती हैं।

४) तनाव से मुक्ति –

दुनिया में आज ऐसा कोई इंसान नहीं मिलेगा; जिसने तनाव को कभी अनुभव ना किया हो! रोजमर्रा की जिंदगी में आने वाले तनाव को हम कभी भी अवॉइड नहीं कर सकते और ना ही उससे मुंह फेर सकते हैं। “तनाव के साथ जीना” एक कुशलता का प्रतीक माना जाता है। तनाव हर किसी को होता है; लेकिन डिप्रेशन की समस्या हर किसी को नहीं होती है!

अपने तनाव को कम करने के लिए तथा हमेशा सकारात्मक सोच रखने के लिए महिलाओं को योग प्राणायाम, मेडिटेशन तथा अन्य अच्छी आदतों का पालन अवश्य करना चाहिए। महिलाएं किसी ना किसी अच्छी आदतों में अपने आप को व्यस्त रखें तथा बुरे विचारों से दूर रहें। ऐसा करने से वह तनाव की समस्या से भी दूर रहती है; जिसके चलते उनकी माहवारी नियमित होने में काफी हद तक मदद मिल पाती है।

महीने में दो बार पीरियड की समस्या होने पर डॉक्टर से कब मिले ? Mahine Me Do Bar Periods Ki Samasya

दोस्तों, हर महीने आने वाली माहवारी की लगभग हर समस्या को महिला हर महीने की झंझट के स्वरूप में पूरी तरीके से नजरअंदाज कर देती हैं और यही वह गलती करती है। उन्हें अपने स्वास्थ्य को लेकर हमेशा सतर्क और सावधान रहना चाहिए। अगर महिलाओं को लगभग दो से तीन महीनों तक एक ही महीने में दो बार माहवारी आ रही है; तो उन्हें इस समस्या को नजरअंदाज बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए और तुरंत डॉक्टर की सलाह लेकर इसके पीछे की वजह जानने की कोशिश करनी चाहिए।

साथ ही, कई महिलाओं को एक महीने में दो बार माहवारी होने के साथ-साथ; मासिक धर्म के दौरान अतिरिक्त रक्तस्त्राव होना, ब्लड क्लॉट्स जाना, पेट के निचले हिस्से में तेज दर्द का अनुभव होना, सांस लेने में समस्या होना, पेल्विक पेन होना, संभोग के दौरान दर्द होना, बेहोशी होना, अचानक से वजन में बदलाव आना (वजन कम या ज्यादा होना) जैसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं; तो महिलाओं को तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।

क्योंकि, एक महीने में बार बार माहवारी आना और यह समस्या लगभग दो से तीन महीनों तक जारी रहना; यह किसी बड़ी बीमारी के या स्वास्थ्य संबंधित समस्या के संकेत तथा लक्षण माने जाते हैं। अगर आप वक्त रहते इस समस्या की ओर ध्यान नहीं देती है; तो आगे जाकर आपके शरीर में इसकी जटिलताएं बढ़ती जाती है और आपके स्वास्थ्य के लिए यह बहुत ही हानिकारक होता है।

महीने में दो बार पीरियड आने की दवा की जानकारी : Mahine Me do Bar Period Ane Ki Dawa

दोस्तों, जैसे कि हमने देखा; महीने में दो बार पीरियड आने की समस्या के पीछे अनगिनत कारण मौजूद होते हैं। जब आप आपके महीने में दो बार पीरियड आने की समस्या को लेकर डॉक्टर के पास जाती है; तब डॉक्टर इस समस्या के पीछे का कारण लग पता लगाने की कोशिश करते हैं।

क्योंकि, महीने में दो बार पीरियड आने की समस्या का इलाज उसके कारण पर निर्धारित किया जाता है। इसीलिए, डॉक्टर सबसे पहले इस समस्या के पीछे का कारण पता लगाती है और उस कारण के अनुसार ही इस समस्या का इलाज करवाने की सलाह देती है।

 १) दूसरी बीमारियों का इलाज –

मानो, अगर आपको थायराइड हार्मोन से जुड़ी समस्या की वजह से महीने में दो बार माहवारी आने की शिकायत हो रही है; तो डॉक्टर थायराइड हार्मोन थेरेपी के उपचार पद्धति के तहत आपको दवाइयों का सेवन करने की सलाह देती है और माहवारी नियमित करने की कोशिश करती है। इसी तरह, अगर आपको कई अन्य स्वास्थ्य संबंधित समस्या की वजह से महीने में दो बार माहवारी की शिकायत हो रही है; तो डॉक्टर उस समस्या का इलाज करते हुए आपके पीरियड को रेगुलर करने की कोशिश करती है और उसके अनुसार उसका इलाज करवाती है।

२) बर्थ कंट्रोल शॉट्स –

आमतौर पर, बर्थ कंट्रोल शॉर्ट्स का इस्तेमाल अनचाही प्रेगनेंसी से छुटकारा दिलाने के लिए किया जाता है। यह एक तरह का इंजेक्शन होता है; जिसमें प्रोजेस्टेरोन की मात्रा पाई जाती है। इसको लगवाने के बाद महिलाओं के अंडे का निर्माण होना बंद हो जाता है और महिलाएं अनचाहे गर्भावस्था से छुटकारा पा सकती हैं। अनियमित मासिक धर्म की समस्या से छुटकारा पाने के लिए कई बार डॉक्टर बर्थ कंट्रोल शॉट्स इंजेक्शंस का भी सहारा लेते हुए उसका इलाज करवाती है।

३) बर्थ कंट्रोल पिल्स –

अनचाही गर्भावस्था से छुटकारा पाने के साथ-साथ बर्थ कंट्रोल पिल्स का सेवन करते हुए महिलाएं और नियमित मासिक धर्म की समस्या से भी छुटकारा पा सकती हैं। डॉक्टर के द्वारा बताए गए कल समय पर अगर महिलाएं नियमित रूप से बर्थ कंट्रोल पिल्स का सही तरीके से सेवन करती है; तो उनके पीरियड्स रेगुलर होने में मदद मिल पाती है। बर्थ कंट्रोल पिल्स कई प्रकार की होती है तथा इन गोलियों के कई अलग तरह के सेट्स होते हैं। इसीलिए, इनका सेवन करने से पहले आपको डॉक्टर की सलाह लेना सबसे आवश्यक होता है; तभी आप इनका सेवन करने के सही तरीके के बारे में सही जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

तो दोस्तों, आज के लिए बस इतना ही। उम्मीद है, आपको आज का यह ब्लॉग अच्छा लगा हो। धन्यवाद।

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