नमस्ते दोस्तों, कैसे हो आप? आज का आर्टिकल होने वाला है, फाइब्रॉयड इस विषय के बारे में। दोस्तों, महिलाओं के प्रजनन क्षमता सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है; क्योंकि प्रजनन क्षमता उचित होने पर ही एक महिला बच्चे को सही तरीके से जन्म दे पाती हैं। बच्चे को जन्म देने के समय महिलाओं को कई सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
गर्भाशय महिलाओं के शरीर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। गर्भाशय में होने वाली प्रक्रियाओं की वजह से ही महिलाएं यौन उत्तेजना उत्पन्न करती हैं, बच्चे को जन्म देती हैं, बच्चे को अपने गर्भ में ९ महीने रख पाती हैं और उसकी मासिक धर्म की नियमितता भी गर्भाशय के स्वास्थ्य पर ही निर्भर होती है।
महिलाओं के गर्भाशय में किसी भी तरह की कोई भी समस्या उत्पन्न ना होने पर उनका मासिक चक्र प्रभावित होता है; जिसके चलते उनका पूरा ही यौन स्वास्थ्य खराब होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। महिलाओं में मासिक धर्म में अनियमितता, पीसीओडी, पीसीओएस, ओवरी से जुड़ी कुछ समस्याएं, फॉलिकल्स की क्वालिटी खराब होना तथा गर्भाशय में कमजोरी होना जैसी अनगिनत प्रकार की सेक्सुअल परेशानियां होती हैं।
वैसे देखा जाए; तो इन परेशानियों के पीछे विविध प्रकार के कारण मौजूद होते हैं। लेकिन, कारण चाहे कोई भी हो; महिलाओं के गर्भाशय के स्वास्थ्य पर किसी भी तरह का बुरा प्रभाव पड़ने पर उन्हें कई सारी परेशानियां उठानी पड़ती है। महिलाओं के गर्भाशय में गांठ उत्पन्न होना; इस स्थिति को “फाइब्रॉइड” कहा जाता है।
गर्भाशय पर फाइब्रॉइड होना कई सारे लक्षणों को दर्शाता है; जिसमें मुख्य तौर पर मासिक धर्म की अनियमितता, पेल्विक हिस्से में दर्द होना तथा महावारी में अतिरिक्त रक्तस्त्राव होना जैसे मुख्य लक्षण दिखाई देते हैं। ऐसे लक्षण दिखाई देने पर महिलाओं को तुरंत डॉक्टर की सलाह लेकर गर्भाशय का चेकअप करवा लेना चाहिए। इसी के साथ, फाइब्रॉइड की समस्या होने पर महिलाओं को इसे नजरअंदाज बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए; क्योंकि यह आपके प्रजनन क्षमता को बहुत ही बुरी तरीके से प्रभावित कर सकती हैं।
तो आइए दोस्तों, आज जानेंगे; यूटरिन फाइब्रॉयड के बारे में पूरी जानकारी।
फाइब्रॉयड कौन सी बीमारी है ? Fibroid Kya hota hai ?
दोस्तों, महिलाओं के गर्भाशय या बच्चेदानी की दीवारों पर मांसल ट्यूमर विकसित होते हैं; जिनको “यूटरिन फाइब्रॉयड” कहा जाता है। यूटरिन फाइब्रॉयड एक या कई ट्यूमर के रूप में विकसित होते हैं; लेकिन हमेशा यह कैंसरजनक नहीं होते हैं। आमतौर पर, गर्भाशय पर विकसित होने वाले फाइब्रॉइड एक छोटे बीज की तरह या कुछ मामलों में अंगूर के जैसे बड़े होते हैं। परंतु, असामान्य स्थितियों में इन फाइब्रॉयड का आकार बढ़ सकता है।
फाइब्रॉयड की वजह से गर्भाशय को कैंसर का खतरा नहीं होता हैं; क्योंकि फाइब्रॉइड कभी भी कैंसर में परिवर्तित नहीं होते हैं। दोस्तों, यूटरिन फाइब्रॉयड की यह समस्या महिलाओं में काफी आम होती है। १८ से ५० की उम्र में महिलाओं को शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ने पर यूटरिन फाइब्रॉयड की समस्याओं पर करा सकती हैं। यदि एक बार फाइब्रॉइड विकसित हो जाता है; तो वह गर्भाशय की दीवारों पर लगभग रजोनिवृत्ति के दौर तक बढ़ता रहता है।
रजोनिवृत्ति के बाद जैसे-जैसे शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर कम होते जाता है; वैसे वैसे गर्भाशय की दीवारों पर मौजूद फाइब्रॉयड सिकुड़ने लगता है। अध्ययन के अनुसार, ३५ की उम्र की महिलाओं में फाइब्रॉयड की यह स्थिति लगभग ३०% होती है तथा ५० की उम्र के बाद ३० से ८०% महिलाओं को फाइब्रॉयड की इस स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।
गर्भाशय फाइब्रॉएड बढ़ने के कारण क्या है ? Intramural Fibroid Badhne Ke Karan ?
दोस्तों, महिलाओं में निम्नलिखित कारणों की वजह से यूटरिन फाइब्रॉयड का विकास होता है।
१) हार्मोन –
दोस्तों, हर महीने आने वाली मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को गर्भधारणा के लिए तैयार करने के लिए एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के द्वारा गर्भाशय के अस्तर को विकसित किया जाता है। इसी प्रक्रिया के दौरान गर्भाशय के दीवारों पर फाइब्रॉइड का विकास हो सकता है। फाइब्रॉयड की स्थिति में सामान्य गर्भाशय की कोशिकाओं की तुलना में अतिरिक्त मात्रा में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन के रिसेप्टर्स पाए जाते हैं।
२) अनुवांशिक बदलाव –
कई बार युटेरस की मांसपेशियों की कोशिकाओं में कुछ जेनेटिक या अनुवांशिक परिवर्तन हो जाते हैं; जिनकी वजह से महिलाओं को गर्भाशय के दीवारों पर फाइब्रॉइड की समस्या उत्पन्न हो जाती है। इसी के साथ अगर आपकी माता, बहन को या आपके परिवार में किसी को फाइब्रॉइड की समस्या हो चुकी है; तो अनुवांशिकता के अनुसार आपको भी फाइब्रॉयड की समस्या हो सकती है।
३) अन्य कारण –
अन्य कारणों के तहत गर्भनिरोधक का उपाय, शरीर में विटामिन डी की कमी, लाल मांस का अधिक मात्रा में सेवन, शराब तथा धूम्रपान का अत्याधिक सेवन, शरीर में पोषक तत्वों की कमी, स्वस्थ जीवन शैली का अभाव, फल तथा सब्जियों का सेवन ना करना, कम उम्र में ही मासिक धर्म की शुरुआत, मोटापा जैसे कारणों की वजह से भी महिलाओं में गर्भाशय पर फाइब्रॉइड विकसित हो सकता है।
फाइब्रॉयड बढ़ने के लक्षण क्या है ? Fibroid Badhne ke Lakshan
दोस्तों, आमतौर पर महिलाओं में गर्भाशय की दीवारों पर फाइब्रॉइड विकसित होने के लक्षण कम ही दिखाई देते हैं और कुछ महिलाओं को इसके लक्षण बिल्कुल भी नहीं दिखाई देते हैं। लेकिन, मासिक धर्म के दौरान असामान्य रक्तस्त्राव होना तथा पेल्विक हिस्से में दर्द होना फाइब्रॉइड बढ़ने के मुख्य लक्षण माने जाते हैं। अपने मासिक धर्म में किसी भी तरह का बदलाव नजर आने पर महिलाओं को तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए और इस लक्षण को नजरअंदाज बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए; क्योंकि यह यूटरिन फाइब्रॉयड के लक्षण हो सकते हैं।
- पेल्विक एरिया में दर्द होना।
- मलत्याग के दौरान दर्द होना।
- मूत्राशय पर अतिरिक्त दबाव पड़ने की वजह से बार-बार पेशाब करने की इच्छा होना।
- मासिक धर्म एक सप्ताह से अधिक चलना।
- मासिक धर्म के दौरान अतिरिक्त रक्तस्त्राव होना।
- कब्ज की समस्या होना।
- कमर दर्द और पीठ दर्द की समस्या होना।
फाइब्रॉयड ठीक करने का तरीका क्या है ? Fibroid Thik Karne Ka Tarika
दोस्तों, आमतौर पर, अगर महिला को यूटरिन फाइब्रॉयड की वजह से किसी भी तरह की कोई समस्या नहीं हो रही है और लक्षण नहीं दिखाई दे रहे हैं; तो उन्हें फाइब्रॉयड के इलाज करने की कोई भी जरूरत नहीं होती है।
इसी के साथ, मासिक धर्म में अनियमित रक्तस्त्राव के बावजूद अगर महिला को किसी भी तरह की समस्या नहीं हो रही है; तो डॉक्टर इस समस्या का इलाज करवाने की सलाह नहीं देते हैं। परंतु, समस्याएं बढ़ने पर तथा लक्षण गंभीर बनने पर फाइब्रॉएड का इलाज करने के लिए डॉक्टर द्वारा दवाइयों का सेवन करने की सलाह दी जाती है और गंभीर परिस्थितियों में सर्जरी करवाने की भी सलाह दी जाती है।
१) दवाईया –
दोस्तों, यूटरिन फाइब्रॉयड का इलाज करने के लिए डॉक्टर द्वारा गोनेडोट्रोपिन रिलीजिंग हार्मोन एगोनिस्ट नामक दवाई का सेवन करने की सलाह दी जाती है; जिससे शरीर में एस्ट्रोजन के उत्पादन को नियंत्रित किया जाता है। इस दवाई का सेवन करने के बाद मासिक धर्म को अस्थाई रूप से रोका जाता है; जिसके चलते फाइब्रॉयड सिकुड़ने लगता है और यह समस्या ठीक हो जाती हैं।
हालांकि, इस दवाई का सेवन बंद करने के बाद महिलाओं के प्रजनन प्रणाली तथा प्रजनन क्षमता पर कोई भी बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है। वहीं दूसरी ओर, इस दवाई का सेवन करने के बाद महिलाओं को शरीर में गर्माहट महसूस होना, योनि में सूखापन होना, पसीना आना तथा ऑस्टियोपोरोसिस जैसे रजोनिवृत्ति के लक्षण दिखाई देते हैं; जिसके लिए उन्हें चिंता करने की आवश्यकता नहीं होती हैं।
२) सर्जरी –
दोस्तों, फाइब्रॉयड का दवाइयों का सेवन करने के बाद इलाज ना होने पर और लक्षण गंभीर हो जाने पर डॉक्टर द्वारा सर्जरी करवानी की सलाह दी जाती है। अगर महिलाएं फाइब्रॉयड की सर्जरी करवाने के भी कई प्रकार होते हैं; जिसका चयन महिलाएं अपने सहूलियत के अनुसार कर सकती हैं।
फाइब्रॉयड का इलाज करने के लिए मायोमैक्टोमी नामक सर्जरी की सलाह दी जाती है; जिसमें महिलाएं महिलाओं के गर्भाशय के दीवारों पर से फाइब्रॉयड को हटाया जाता है। यह सर्जरी उन महिलाओं के लिए विशेष होती है; जो आगे जाकर मां बनना चाहती हैं।
वहीं दूसरी ओर, अगर फाइब्रॉयड का आकार बहुत अधिक होता है और महिला को माहवारी के दौरान अत्यधिक रक्तस्त्राव होता है; तब हिस्टेक्टोमी सर्जरी के तहत फाइब्रॉयड को निकालने के लिए पूरे ही गर्भाशय को निकाला जाता है।
अगर गर्भाशय के अंदरूनी या आंतरिक सतह के पास फाइब्रॉयड मौजूद होता है; तो एंडोमेट्रियल इब्लेशन सर्जरी के द्वारा गर्भाशय की परत को हटाया जाता है।
फाइब्रॉयड की देसी दवा : Fibroid Ki Desi Dawa
दोस्तों, अगर किसी महिला को फाइब्रॉयड की समस्या को नियंत्रित करने के लिए आयुर्वेदिक उपचार पद्धति को अपनाना होता है; तो वह आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार विभिन्न प्रकार की आयुर्वेदिक दवाइयों का सेवन कर सकती है।
१) आंवला –
दोस्तों, आंवले में विटामिन सी होने की वजह से यह हमारे स्वास्थ्य के लिए सबसे लाभदायक और फायदेमंद माना जाता है। आंवले में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट, एंटीफाइब्रॉटिक तथा फेनोलिक औषधीय तत्व की वजह से आंवले का सही तरीके से सेवन करने के बाद महिलाओं में आई यूटरिन फाइब्रॉयड की समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है।
आंवले से बने दवाइयों का सेवन आप डॉक्टर की सलाह के अनुसार कर सकते हैं; जिससे प्राकृतिक तरीके से फाइब्रॉयड की समस्या को नियंत्रित किया जाता है। साथ ही, आप आंवले का सेवन घर पर कई रूपों से कर सकते हैं।
२) गिलोय –
दोस्तों, कई सारे औषधीय तत्व से युक्त गिलोय से बने औषधियों का सेवन करने के बाद हमें कई सारे स्वास्थ्यवर्धक लाभ मिलते हैं। साथ ही, गिलोय का सही तरीके से किया गया सेवन हमें कई सारी बीमारियों का इलाज करवाने में भी मदद करता है और कई सारी बीमारियों से सुरक्षित रखने के लिए भी मददगार होता है।
फाइब्रॉयड की समस्या का नियंत्रण करने के लिए तथा इसके लक्षणों को कम करने के लिए महिलाओं को गिलोय का सेवन अवश्य करना चाहिए। गिलोय से बनी विविध प्रकार की दवाइयां मार्केट में उपलब्ध होती है; जिनका सेवन महिलाएं आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार कर सकती हैं और फाइब्रॉयड के लक्षणों को काफी हद तक नियंत्रित कर सकती है।
३) चंद्रप्रभा वटी –
महिलाओं की यौन संबंधित समस्याओं का निवारण करने के लिए चंद्रप्रभा वटी का सेवन काफी पुराने जमाने से होता आ रहा है। इस दवाई का सेवन करने के बाद महिलाओं में आई यूटरिन फाइब्रॉयड की समस्या भी काफी हद तक नियंत्रित हो पाती है और महिलाओं को इसकी वजह से होने वाले दर्द और पीड़ा से राहत मिल पाती है।
चंद्रप्रभा वटी का सेवन करने के बाद महिलाओं के गर्भाशय में आए फाइब्रॉइड की समस्या को नियंत्रित किया जाता है और महिलाओं के शरीर में रोग प्रतिकारक क्षमता को भी बढ़ाया जाता है। फाइब्रॉयड की समस्या का निवारण करने के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार महिलाएं चंद्रप्रभा वटी का सेवन अवश्य करें।
४) प्रदारंतक चूर्ण –
प्राकृतिक आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों से निर्मित इस दवाई का सेवन करने के बाद महिलाओं में यूटरिन फाइब्रॉयड की समस्या को और उसके लक्षणों को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। इस दवाई को बनाते समय इसमें अर्जुन, उडुंबर, लोध्र, अशोक जैसी अनगिनत प्रकार की आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों का मिश्रण इस्तेमाल किया जाता है।
इस दवाई का सेवन करने से ना सिर्फ महिलाओं को फाइब्रॉयड की समस्या से राहत मिलती है; बल्कि ओवेरियन सिस्ट, हारमोंस का असंतुलन, महावारी की अनियमितता और प्रीमेंस्ट्रूअल सिंड्रोम जैसी महिलाओं से जुड़ी अन्य समस्याओं से भी राहत मिल पाती है।
५) त्रिफला –
दोस्तों, त्रिफला चूर्ण या काढ़े में हरितकी, विभितकी तथा अमलकी जैसी जड़ी बूटियों के बीजों का मिश्रण पाया जाता है। इसीलिए, त्रिफला काढ़े का या त्रिफला चूर्ण का सेवन करने के बाद महिलाओं को प्राकृतिक रूप से अपने फाइब्रॉइड की समस्या से राहत मिल पाती हैं।
अध्ययन के अनुसार यह साबित हो चुका है; कि त्रिफला का सेवन करने के बाद महिलाओं में फाइब्रॉयड के लक्षण में काफी कमी देखी जाती है। त्रिफला में मौजूद एंटीनो l प्लास्टिक जैसे तत्व महिलाओं के गर्भाशय के स्वास्थ्य को बढ़ाने के लिए और फाइब्रॉइड की समस्या को ठीक करने के लिए लाभदायक माने जाते हैं।
फाइब्रॉयड के लिए योग : Fibroid Ke Liye Yog
दोस्तों, फाइब्रॉयड की समस्या को अंदरुनी रूप से ठीक करने के लिए और गर्भाशय के स्वास्थ्य को बढ़ाने के लिए महिलाएं किसी योगा टीचर या विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार विभिन्न प्रकार के योगासनों का अभ्यास कर सकती हैं। हम आपको निम्नलिखित कुछ योगासनों के बारे में जानकारी देने वाले हैं; जिनका अभ्यास आप विशेषज्ञ की देखरेख के अनुसार ही करें।
१) पश्चिमोत्तानासन –
दोस्तों, पश्चिमोत्तानासन का अभ्यास करने के बाद फाइब्रॉयड की समस्या को ठीक किया जा सकता है। दरअसल, इस योगासन का रोजाना तौर पर किया गया अभ्यास आपके गर्भाशय की दीवारों पर मौजूद फाइब्रॉयड को सिकुड़ने में मददगार साबित होता है। इस आसन को करने के लिए सीधे पैरों से दंडासन में बैठे। आप अपने सास को छोड़ते हुए दोनों बाजुओं को ऊपर उठाएं और निचे झुककर अपने पैरों की उंगलियों को छूने की कोशिश करें। इसी अवस्था में अपने छाती को जांघो के पास लाने की कोशिश करें। इस अवस्था में थोड़ी देर के लिए रुके और बाद में अपनी नार्मल स्थिति में वापस लौटे। पश्चिमोत्तानासन का अभ्यास आप एक वक्त में ३ से ४ बार कर सकते हैं।
२) सर्वांगासन –
दोस्तों, इस आसन के नाम से ही पता चलता है; कि इस आसन को करने में आपका पूरा ही शरीर अपना योगदान देता है। सर्वांगासन का अभ्यास करना शुरुआती दौर में आपके लिए थोड़ा कठिनाई भरा साबित होता है। लेकिन, धीरे-धीरे इसकी आदत हो जाने पर आप सर्वांगासन का अभ्यास बहुत ही आसानी से कर पाते हैं। सर्वांगासन का अभ्यास करने के बाद महिलाओं के गर्भाशय को मजबूती मिलती है और फाइब्रॉयड की समस्या कम होने लगता है।
३) मलासन –
इस आसन का अभ्यास करने से महिलाएं अपने फाइब्रॉइड की समस्या को कम कर सकते हैं। दरअसल, इस आसन को करने के बाद फाइब्रॉयड की को सिकुड़ने में मदद मिल पाती हैं। मलासन अभ्यास के दौरान महिलाओं के पीठ, कमर के निचले हिस्से तथा कूल्हों के हिस्से को अच्छा खिंचाव मिल पाता है। इस आसन को करते हुए महिलाएं अपने पेल्विक एरिया में अतिरिक्त दबाव उत्पन्न कर सकती हैं; जिसके चलते फाइब्रॉएड सिकुड़ने में मदद मिल पाती है।
४) पवनमुक्तासन –
इस आसन का अभ्यास करने के लिए अपने पीठ के बल लेट जाएं और पैरों को सीधा फैलाए। बाद में, अपने घुटनों को मोड़ते हुए उन्हें अपनी छाती के खिलाफ दबाए और अपने हाथों से उन्हें गले लगाएं। बाद में, श्वास लेते हुए अपने सिर को उठाएं और सांस छोड़ते हुए अपने माथे को घुटने से छूने की कोशिश करें। इस अवस्था में लगभग ३० सेकंड तक रुके और बाद में नार्मल स्थिति में वापस आ जाए। इस आसन को करते हुए महिलाएं अपने निचले शरीर में संकुचन पैदा करती है; जिसके चलते महिलाओं के गर्भाशय में मौजूद फाइब्रॉयड सिकुड़ने में मदद मिल पाती है।
तो दोस्तो, आज के लिए बस इतना ही। उम्मीद है, आपको आज का यह ब्लॉग अच्छा लगा हो। धन्यवाद।