नमस्ते दोस्तों, कैसे हो आप? आज का आर्टिकल होने वाला है, स्तनों में दूध बढ़ाने के लिए क्या खाना चाहिए ? इस विषय के बारे में। दोस्तों, जैसा कि हम सभी जानते हैं; एक बच्चे को जन्म देने के लगभग एक से दो दिन में ही माता के स्तनों में दूध आने लगता है; जिसके जरिए बच्चे का संपूर्ण शारीरिक एवं मानसिक विकास संभव हो पाता है।

लगभग पहले ६ से ७ महीने तक नवजात शिशु को सिर्फ और सिर्फ माता का दूध ही पिलाया जाता है। क्योंकि, बच्चे की पाचन शक्ति काफी कमजोर होती है; जो अन्य पदार्थ पचा नहीं पाती है। नवजात शिशु के जन्म के लगभग ६ से ७ महीने तक सिर्फ और सिर्फ मां के दूध के जरिए ही उसका सही शारीरिक एवं मानसिक विकास संपूर्ण तरीके से हो पाता है।

परंतु, आजकल प्रेगनेंसी में कॉम्प्लिकेशन बढ़ने लगे हैं; जिसके चलते माताओं के शरीर में कई सारे अनचाहे बदलाव होते हैं। ऐसा होने पर डिलीवरी के बाद भी उनके स्तनों में दूध नहीं आता है; जिसके चलते वह अपने बच्चे को अपना दूध नहीं पिला पाती है। ऐसा होने पर डॉक्टर की सलाह लेना आवश्यक होता ही है।

परंतु, ऐसे कई घरेलू उपाय मौजूद होते हैं; जो काफी पुराने जमाने से इस्तेमाल होते आ रहे हैं और उनका इस्तेमाल करने के बाद माताओं के स्तनों में दूध का उत्पादन बढ़ जाता है। डिलीवरी होने के बाद माता पोस्टपार्टम डिप्रेशन से भी गुजरती है; जिसके चलते उनके शरीर में दूध का उत्पादन घटने लगता है और स्तनों में दूध की कमी हो जाती हैं।

इन सभी चीजों को ध्यान में रखते हुए महिलाओं को प्रेगनेंसी में और डिलीवरी होने के बाद अपने शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना भी आवश्यक होता है; ताकि डिलीवरी के बाद उनके स्तनों में दूध का उत्पादन सही तरीके से हो सके और वह वह अपने बच्चे को दूध पिला सके।

तो आइए दोस्तों, आज जानेंगे; स्तनों में दूध बढ़ाने के उपायों के बारे में पूरी जानकारी।

स्तनों में दूध कब आता है ? Stano Me Dudh Kab Ata hai ?

स्तनों में दूध कब आता है
स्तनों में दूध कब आता है

दोस्तों, जैसे ही एक माता का गर्भ ठहरता है; उसके साथ ही उसके शरीर में अनगिनत प्रकार के तेज हार्मोनल परिवर्तन देखने को मिलते हैं। पूरी गर्भावस्था के दौरान चलने वाले यह हार्मोनल परिवर्तन की वजह से माता के स्तनों में टेंडर्नेस भी बढ़ जाता है; जिसके चलते माता के स्तन का आकार भी बढ़ने लगता है।

गर्भावस्था के दौरान आमतौर पर, एक महिला के शरीर में लगभग चौथ से पांचवे महीने में दूध का उत्पादन शुरू होना सामान्य बात मानी जाती है। हालांकि, गर्भावस्था के दौरान स्तनों में दूध का निर्माण होना; यह बात हर महिला के लिए अलग-अलग हो सकती है।

कई महिलाओं में गर्भावस्था के पहले तिमाही में ही स्तनों में दूध का निर्माण शुरू हो जाता है; तो कुछ महिलाओं के लिए प्रेगनेंसी के दूसरे तिमाही या तीसरी तिमाही में भी स्तनों में दूध का निर्माण शुरू हो जाता है। गर्भावस्था के दौरान स्तनों में शुरू होने वाले दूध के उत्पादन को “कोलोस्ट्रम” कहा जाता है। साथ ही, डिलीवरी होने के बाद एक महिला के स्तनों में से दूध आना लगभग डिलीवरी के ३ से ४ दिनों के बाद शुरू हो जाता है।

डिलीवरी के लगभग १० से १२ दिन बाद स्तनों में से दूध का उत्पादन पूरी तरीके से शुरू हो जाता है और दूध पूर्ण क्षमता से आने लगता है; जिसमें विविध प्रकार के पोषक तत्व, एंटीबॉडीज और अन्य प्रकार के उपयोगी घटक मौजूद होते हैं। माता के दूध से ही बचे का संपूर्ण शारीरिक एवं मानसिक विकास संभव हो पाता है और बच्चे को लगभग ६ महीने तक सिर्फ और सिर्फ माता का दूध ही पिलाया जाता है।

स्तनों में दूध आना क्यों जरूरी है ? Stano Me Dudh Ana Kyo Jaruri Hai ?

दोस्तों, जैसा कि हम सभी जानते हैं; बच्चे को जन्म देने के बाद लगभग एक से दो दिनों में माता के स्तनों में दूध उतरता है और निप्पल में से दूध आना शुरू हो जाता है। माता के दूध के जरिए ही नवजात शिशु का संपूर्ण शारीरिक एवं मानसिक विकास संभव होने में मदद मिल पाती है।

लगभग ६ से ७ महीने तक नवजात शिशु को सिर्फ और सिर्फ माता का दूध ही पिलाया जाता है। माता के दूध में बहुत सारे पोषक तत्व मौजूद होते हैं; जो एक बच्चे का संपूर्ण विकास करने के लिए जरूरी माने जाते हैं। इसलिए, माता के स्तनों में दूध आना जरूरी हो जाता है।

माता के दूध में शुगर, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, फैट्स, विविध प्रकार के विटामिन तथा मिनरल्स जैसे अनगिनत प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं; जो बच्चे के स्वास्थ्य के लिए बहुत ही गुणकारी होते हैं। साथ ही, माता के दूध में एंटीबॉडीज मौजूद होती हैं; जो एक नवजात शिशु को अनगिनत प्रकार के इंफेक्शन से सुरक्षित रखने का काम करती हैं।

स्तनों में से आने वाला दूध ना सिर्फ बच्चे के लिए स्वास्थ्यवर्धक होता है; बल्कि खुद मां के लिए भी बहुत ही गुणकारी माना जाता है। कई महिलाएं डिलीवरी के बाद चिंता, अवसाद तथा डिप्रेशन का शिकार हो जाती हैं। परंतु, अगर वह अपने बच्चे को अपना दूध पिलाती हैं; तो उन्हें खुशी का अनुभव होता है और डिप्रेशन से उन्हें काफी हद तक राहत मिल पाती है।

स्तनों में से निकलने वाले दूध की वजह से एक महिला गर्भाशय का कैंसर, ओवरी का कैंसर स्तनों का कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से हमेशा के लिए सुरक्षित रह सकती हैं। इसीलिए, माता के स्तनों में से दूध आना जरूरी हो जाता है; ताकि माता और शिशु दोनों ही अनगिनत प्रकार की बीमारियों से सुरक्षित रह सके।

स्तनों का दूध बढ़ाने के लिए क्या करना चाहिए? क्या खाएं ? Stano Ka Dudh Badhane Ke Liye Kya Karna Chahiye ?

स्तनों का दूध बढ़ाने के लिए
स्तनों का दूध बढ़ाने के लिए

डिलीवरी होने के बाद एक महिला के ब्रेस्ट मिल्क के उत्पादन को बढ़ाने के लिए निम्नलिखित पदार्थों को अपने आहार में समावेश करना चाहिए।

१) शतावरी –

डिलीवरी होने के बाद अगर किसी कारणवश्य महिलाओं को अपने स्तनों में दूध का उत्पादन कम लग रहा है; तो वह डॉक्टर की सलाह के अनुसार शतावरी जड़ी बूटी का सेवन कर सकती है। शतावरी नमक जड़ी बूटी महिलाओं के लिए सर्वोत्तम एवं सबसे गुणकारी जड़ी बूटी मानी गई है। महिलाओं से जुड़ी लगभग हर समस्या के लिए शतावरी का इस्तेमाल काफी पुराने जमाने से होता आ रहा है। शतावरी का सेवन करने के बाद महिला के शरीर में हुआ हार्मोनल संतुलन ठीक हो जाता है, हार्मोन संतुलित हो जाते हैं और प्रोलेक्टिन की मात्रा बढ़ती है; जिससे ब्रेस्ट में दूध का उत्पादन भी बढ़ जाता है।

२) मेथी दाना –

डिलीवरी होने के बाद मेथी दाना महिलाओ के शरीर के लिए और स्वास्थ्य के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है। मेथी दाना में प्राकृतिक फाइटोहिस्ट्रोजन मौजूद होते हैं; जो एक महिला के शरीर में एस्ट्रोजन नामक हार्मोन को संतुलित रखने में मददगार होते हैं। साथ ही, मेथी दाने का सेवन करने से महिलाओं के शरीर में आयरन, कैल्शियम तथा अन्य प्रकार के पोषक तत्व की आपूर्ति होती है; जिसके चलते ब्रेस्ट मिल्क के उत्पादन को बढ़ावा देने में भी मदद मिल पाती है। मेथी दाना का सही तरीके से किया गया सेवन ब्रेस्ट मिल्क के उत्पादन को बढ़ाने के साथ-साथ; महिलाओं के शरीर में हारमोंस के संतुलन के लिए भी जिम्मेदार होता है।

३) रागी –

डिलीवरी के बाद माता को पोस्टपार्टम रिकवरी में मदद करने के लिए रागी को अपने आहार में समावेश करना चाहिए। रागी में फाइबर होता है; जो डिलीवरी के बाद महिलाओं के पाचन शक्ति को मजबूती प्रदान करने का काम करता है। रागी में कैल्शियम, अमीनो एसिड, आयरन, विटामिन डी, विविध प्रकार के मिनरल्स और विटामिन मौजूद होते हैं; जो डिलीवरी के बाद माता के शरीर में आयरन की आपूर्ति कर हीमोग्लोबिन को बढ़ाते हैं और हड्डियों को मजबूती प्रदान करते हैं। साथ ही, रागी का सही तरीके से किया गया सेवन महिलाओं के शरीर में दूध के उत्पादन को भी बढ़ावा देता है।

४) अजवाइन –

सीमित मात्रा में किया गया अजवाइन का सेवन डिलीवरी के बाद एक माता के शरीर में दूध के उत्पादन को बढ़ाने का काम करता है। अजवाइन का सेवन करने से महिलाओं को पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याओं से भी राहत मिलती है और पेशाब के दौरान होने वाली जलन से उन्हें राहत मिल सकती है। सुबह दो से तीन लीटर पानी में एक चम्मच अजवाइन को मिलाकर उसको थोड़ी देर के लिए उबाल लें और ठंडा करके आप इस पानी का सेवन दिन भर में कर सकती है। ऐसा करने से महिलाओं के शरीर में दूध के उत्पादन को बढ़ावा मिलता है और पाचन तंत्र को मजबूती मिलती है।

५) खजूर –

खजूर को नेचुरल स्वीटनर भी कहा जाता है। खजूर में मौजूद अनगिनत प्रकार के पोषक तत्व पोस्टपार्टम रिकवरी करने में एक महिला के लिए बहुत ही मददगार साबित होते हैं। खजूर में कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन, फाइबर, विविध प्रकार के विटामिन तथा मिनरल्स पाए जाते हैं; जो महिला के शरीर में खून को बढ़ाने के साथ-साथ दूध के उत्पादन को बढ़ाने में भी सहायता प्रदान करते हैं। डिलीवरी के बाद खजूर का सीमित मात्रा में सेवन करने से महिलाओं के शरीर में प्रोलैक्टिन हार्मोन के उत्पादन को बढ़ावा मिलता है; जिसके चलते ब्रेस्टमिल्क की मात्रा को बढ़ाया जा सकता है।

स्तनों का दूध बढ़ाने के अन्य टिप्स : Stano Ka Dudh Badhane Ke Tips

स्तनों का दूध बढ़ाने के टिप्स
स्तनों का दूध बढ़ाने के टिप्स

डिलीवरी के बाद स्तनों में दूध के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए महिलाओं को निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना जरूरी हो जाता है।

  1. डिलीवरी के बाद एक महिला में तनाव आना बहुत ही सामान्य बात मानी जाती है। परंतु, अतिरिक्त शारीरिक एवं मानसिक तनाव की वजह से महिलाओं के शरीर में दूध के उत्पादन पर उसका बहुत प्रभाव पड़ता है। इसीलिए, डिलीवरी के बाद महिलाओं को तनाव से बचना चाहिए; जिससे उनके शरीर में दूध का उत्पादन निरंतर जारी रह सके।
  2. दिन भर में अपने शिशु को १० से ११ बार स्तनपान कराते रहना चाहिए।
  3. स्तनपान के दौरान माता को अपने खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए और सिर्फ पोषक तत्वों से युक्त पदार्थ का सेवन करना चाहिए।
  4. स्तनपान कराते हुए माताओं को अपने शिशु को दोनों स्तनों का दूध समान मात्रा में पिलाना चाहिए।
  5. स्तनपान कराते हुए अपने बच्चे के साथ कनेक्ट करने की कोशिश करें; जिससे आपको खुशी महसूस होती है और शरीर में हारमोंस का संतुलन बना रहता है। ऐसा होने पर दूध का उत्पादन जारी रहता है और आपके शरीर में दूध के उत्पादन को बढ़ावा मिलने में भी मदद मिल पाती हैं।
  6. अपने बच्चे को दूध पिलाते समय स्तनों पर अतिरिक्त दबाव नहीं डालना चाहिए।
  7. डिलीवरी के बाद अगर आपकी कोई विशिष्ट प्रकार की दवाइयां चल रही है; तो उन्हें समय-समय पर लेते रहे और डॉक्टर की सलाह लेकर उसकी जांच करवाते रहना चाहिए।
  8. बच्चे को स्तनपान कराते हुए महिलाओं के स्तनों में दर्द की समस्या हो सकती हैं और मांसपेशियों में दर्द हो सकता है। इसीलिए, महिलाओं को अपने स्तनों की हल्के हाथों से तेल लगाकर मालिश जरूर करनी चाहिए; जिससे स्तनों में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है और दूध के उत्पादन को बढ़ावा मिलने में मदद मिलती है।
  9. डिलीवरी के बाद महिलाओं को शराब, धूम्रपान तथा अन्य नशीली चीजों का सेवन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। क्योंकि, इन गलत आदतों का सीधा परिणाम आपके ब्रेस्ट मिल्क के प्रोडक्शन पर होता है।
  10. डिलीवरी के बाद महिलाओं को अपने खानपान में असंतुलित आहार का सेवन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए और जंक फूड से परहेज करना चाहिए।

तो दोस्तों, आज के लिए बस इतना ही। उम्मीद है, आपको आज का यह ब्लॉग अच्छा लगा हो। धन्यवाद।

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