नमस्ते दोस्तों, कैसे हो आप ? आज का आर्टिकल होने वाला है, डिलीवरी के बाद डिप्रेशन इस विषय के बारे में। दोस्तों, बच्चे को जन्म देना हर महिला का सपना होता है और बच्चे को जन्म देने के बाद मां की खुशी का ठिकाना नहीं रहता है। पूरी ९ महीने की गर्भावस्था में महिला को कई सारी परेशानियों को उठाना पड़ता है। परंतु, बच्चे को जन्म देने के बाद उसके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है और वह सारे ही दर्द एक पल में ही भूल जाती हैं।

बच्चे को जन्म देते हुए भी महिलाओं को प्रसव पीड़ा का सामना करना पड़ता है; जिसके तहत उनका दूसरा जन्म होता है। प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए; ताकि उनका और उनके गर्भ में पल रहे शिशु का स्वास्थ्य बरकरार रहे। प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को अतिरिक्त तनाव लेने से भी बचना चाहिए। क्योंकि, यह उनके और उनके गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं माना जाता है।

डिलीवरी में गर्भावस्था के दौरान किसी भी प्रकार का मानसिक किया शारीरिक तनाव लेने पर महिलाओं के गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता है। ऐसा होने पर उसके शारीरिक एवं मानसिक विकास पर भी प्रभाव पड़ता है और उसका स्वास्थ्य खराब हो सकता है। यहां तक; कि गर्भावस्था के दौरान अतिरिक्त तनाव लेने से महिलाओं में गर्भपात होने की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं।

इसीलिए, गर्भावस्था के दौरान जितना हो सके; उतना खुश रहने की कोशिश करें और अपने आप को अतिरिक्त महत्व दें। डिलीवरी के बाद कई महिलाओं को अतिरिक्त चिंता सताने लगती है। डिलीवरी के बाद महिलाओं के शरीर में काफी सारे हार्मोन परिवर्तन होते हैं; जो काफी तीव्र होते हैं और हार्मोन परिवर्तन के साथ एडजस्ट करते हुए महिलाओं को कई सारे परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

कई महिलाएं पोस्टपार्टम डिप्रेशन का शिकार हो जाती है; जिसके चलते वह तनावग्रस्त रहने लगती है और उनके स्वास्थ्य पर भी उसका बुरा प्रभाव पड़ता है। आमतौर पर देखा जाए; तो डिलीवरी के बाद थोड़ा चिंता ग्रस्त होना एक बहुत ही आम स्थिति मानी जाती हैं। परंतु, अतिरिक्त चिंता ग्रस्त होना महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होता है।

डिलीवरी होने के बाद डिप्रेशन की समस्या होने पर घर के सभी लोगों की जिम्मेदारी बनती है; कि वह मां और बच्चे का अतिरिक्त ख्याल रखें तथा महिलाओं को डिप्रेशन से बाहर निकलने में मदद करें। साथ ही, पोस्टपार्टम डिप्रेशन की समस्या उत्पन्न होने पर महिलाओं को जीवन शैली में काफी बदलाव करने चाहिए तथा लक्षण बढ़ने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।

तो आइए दोस्तों, आज जानेंगे; पोस्टपार्टम डिप्रेशन के बारे में पूरी जानकारी।

पोस्ट प्रेगनेंसी डिप्रेशन क्या होता है ? Post Pregnancy Depression

पोस्ट प्रेगनेंसी डिप्रेशन
पोस्ट प्रेगनेंसी डिप्रेशन

दोस्तों, बच्चे को जन्म देने के बाद महिलाएं जिस अवसाद से गुजरती है; उस परिस्थिति को “पोस्ट प्रेगनेंसी डिप्रेशन” तथा “पोस्टपार्टम डिप्रेशन” कहा जाता है। यह डिप्रेशन बच्चे को जन्म देने के तुरंत बाद में या एक साल तक होता है। बच्चे को जन्म देने के बाद आने वाले डिप्रेशन में महिलाएं शारीरिक, मानसिक तथा भावनिक रूप से काफी नकारात्मक हो जाती है

आमतौर पर, पोस्टपार्टम डिप्रेशन बच्चे को जन्म देने के पहले तीन महीनों के भीतर ही हो जाता है। पोस्ट प्रेगनेंसी डिप्रेशन की समस्या होने पर महिलाओं में कई सारे लक्षण दिखाई देते हैं। जैसे; चिड़चिड़ा हट महसूस होना, मूड स्विंग्स होना, उदासी, चिंता ग्रस्त होना, भूख कम लगना जैसे लक्षण दिखाई देने पर महिलाएं इसे नजरअंदाज कर देती है।

परंतु, ऐसा नहीं करना चाहिए। बच्चों को जन्म देने के बाद इनमें से किसी भी लक्षण का अनुभव होने पर महिलाओं को तुरंत सतर्क हो जाना चाहिए। पोस्टपार्टम डिप्रेशन की समस्या महिलाओं में काफी आम पाई जाती है। अध्ययन के अनुसार, प्रसव के बाद लगभग १५% महिलाएं पोस्टपार्टम डिप्रेशन की समस्या से गुजरती है।

बच्चे को जन्म देने के बाद महिलाओं के शरीर में कई सारे हार्मोनल परिवर्तन देखे जाते हैं; जिसके चलते उन्हें पोस्टपार्टम डिप्रेशन की समस्या हो सकती है। पोस्टपार्टम डिप्रेशन की समस्या होने पर कई लक्षण दिखाई देते हैं। जैसे; कभी-कभी भूख ना लगना या कभी-कभी बहुत ज्यादा खाना, अतिरिक्त थकान महसूस होना परंतु नींद ना आना, शरीर के कई हिस्सों में दर्द होना, चिड़चिड़ा हट महसूस होना, अचानक से रोना, अक्सर बातें भूल जाना, अपने बच्चे के साथ लगाव महसूस ना करना या एंजॉय नहीं करना। ऐसे लक्षण दिखाई देने पर महिलाओं को तुरंत डॉक्टर की सलाह लेकर इसकी जांच करवा लेना चाहिए।

प्रेगनेंसी में ज्यादा स्ट्रेस लेने से क्या होता है? क्यों नहीं लेना चाहिए ? Pregnancy Me Jyada Stress Lene Se Kya hoga ?

दोस्तों, गर्भावस्था महिलाओं के जिंदगी का सबसे नाजुक, महत्वपूर्ण और संवेदनशील दौर होता है। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में होने वाले अनगिनत बदलावों के साथ एडजस्ट करने में महिलाओं को काफी मशक्कत करनी पड़ती है। साथ ही, गर्भावस्था के दौरान होने वाले बदलाव महिलाओं को भावनिक और शारीरिक रूप से काफी हद तक प्रभावित कर देते हैं; जिसके चलते महिलाओं के स्वास्थ्य की बिगड़ने की आशंका बनी रहती है।

वहीं दूसरी ओर, गर्भावस्था के दौरान अतिरिक्त तनाव लेने के कारण महिलाओं के स्वास्थ्य के साथ-साथ उनके गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है और यह उनके लिए हानिकारक माना जाता है। गर्भावस्था के दौरान अतिरिक्त तनाव लेने से गर्भ में पल रहे शिशु के शारीरिक एवं मानसिक विकास पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता है; जिसके चलते शिशु का जन्म होने के बाद उसमें कुछ डिफेक्ट्स आने की भी संभावना बनी रहती है।

इसी के साथ, गर्भावस्था के दौरान अतिरिक्त तनाव लेने के कारण कई महिलाओं को गर्भपात होने की संभावनाएं भी बढ़ जाती है। इसीलिए, अपनी गर्भावस्था के दौरान किसी भी प्रकार का डिफेक्ट होने से सुरक्षित रहने के लिए तथा अपने गर्भ में पल रहे बच्चे के स्वास्थ्य के हेतु महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान अतिरिक्त शारीरिक एवम मानसिक तनाव बिल्कुल भी नहीं लेना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में काफी सारे बदलाव होते हैं; जो महिलाओं को अंदरूनी रूप से परेशान कर सकते हैं।

इसीलिए, कुछ हद तक गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में चिंता आ ही जाती हैं। इस चिंता से निपटने के लिए महिलाएं गर्भावस्था के दौरान अच्छे बुक्स पढ़ें, घूमने जाएं, हल्का-फुल्का एक्सरसाइज करें, योग, प्राणायाम तथा ध्यान धारणा, मेडिटेशन जैसे अच्छी आदतों की प्रैक्टिस करें। ऐसा करने से महिलाओं को मानसिक रूप से मजबूती मिलती है और वह भावनात्मक रूप से मजबूत बन जाती है; जिसके चलते उनके मन में नकारात्मक विचार नहीं आते हैं और वह हमेशा खुश रहने की कोशिश करती है।

क्या डिलीवरी के बाद डिप्रेशन आने पर उसका असर बच्चे पर भी पड़ता है क्या ? Delivery Ke Baad Depression Ane Par

डिलीवरी के बाद डिप्रेशन आने पर
डिलीवरी के बाद डिप्रेशन आने पर

दोस्तों, प्रेग्नेंट होने के बाद मां और गर्भ में पल रहे बच्चे एक दूसरे से पूरी तरीके से जुड़ जाते हैं। अगर मां दुखी रहती है; तो गर्भ में पल रहा बच्चा भी दुखी रहता है तथा उसे असहज महसूस होता है। वहीं दूसरी ओर, अगर मां हमेशा सकारात्मक विचार करती है और खुश रहती हैं; तो इसका अच्छा प्रभाव गर्भ में पल रहे शिशु पर पड़ता है और उसको भी खुशी का अनुभव होता है।

अध्ययन के अनुसार यह साबित हो चुका है; कि जो माताएं गर्भावस्था के दौरान अतिरिक्त तनावग्रस्त रहती है; उनके गर्भ में पल रहे शिशु पर उसका बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता है। साथ ही, जो माताएं बच्चे को जन्म देने के बाद पोस्टपार्टम डिप्रेशन का शिकार होती हैं; उनके बच्चों पर भी उसका पूरा प्रभाव पड़ता है।

अतिन के अनुसार, जिन माताओं में पोस्टपार्टम डिप्रेशन की समस्या देखी जाती हैं; उनके बच्चे आगे चलकर डिप्रेशन का शिकार होने की संभावनाएं भी सबसे अधिक होती है। इसीलिए, डिलीवरी के बाद डिप्रेशन आने पर उसका प्रभाव बच्चे की सेहत पर जरूर पड़ सकता है।

पोस्ट प्रेगनेंसी डिप्रेशन की वजह क्या है ? Post Pregnancy Depression Ki Vajah

दोस्तों, महिलाओं में बच्चे को जन्म देने के बाद आने वाले पोस्टपार्टम डिप्रेशन के निम्नलिखित कारण होते हैं।

  1. डिलीवरी के तुरंत बाद शरीर में होने वाले तीव्र बदलाव की वजह से महिलाओं में पोस्टपार्टम डिप्रेशन की समस्या हो जाती हैं।
  2. बच्चे को जन्म देने के बाद एक महिला के शरीर में एस्ट्रोजन तथा प्रोजेस्टेरोन नामक हार्मोन के लेवल में तीव्र बदलाव देखे जाते हैं; जिसके चलते उनमें पोस्ट प्रेगनेंसी डिप्रेशन की समस्या हो जाती हैं।
  3. प्रेगनेंसी के दौरान आने वाली स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं तथा सामाजिक अलगाव जैसे कारणों की वजह से महिलाएं भावनात्मक रूप से काफी कमजोर हो जाती हैं; जिसके चलते बच्चे को जन्म देने के बाद उनमें पोस्टपार्टम डिप्रेशन की समस्या हो सकती हैं।
  4. पोस्टपार्टम डिप्रेशन की समस्या अनुवांशिक भी हो सकती हैं।
  5. बच्चे को जन्म देने के बाद अपर्याप्त आहार तथा नींद की कमी जैसे कारणों की वजह से महिलाओं में पोस्टपार्टम डिप्रेशन की समस्या देखी जाती है।
  6. डिलीवरी के समय दर्दनाक पीड़ा का अनुभव तथा डिलीवरी के बाद होने वाले रूटीन चेंज की वजह से महिलाओं में पोस्टपार्टम डिप्रेशन की समस्या हो जाती है।
  7. अगर महिलाओं को पहले प्रेगनेंसी के बाद पोस्टपार्टम डिप्रेशन की समस्या होती है; तो दूसरे डिलीवरी के बाद भी उनमें यह समस्या हो सकती हैं।
  8. बच्चे को जन्म देने के बाद परिवार या जीवनसाथी से अपेक्षित सपोर्ट ना मिलने की वजह से भी महिलाएं डिप्रेशन में आ जाती है और वह पोस्टपार्टम डिप्रेशन का शिकार हो जाती हैं।
  9. अगर महिलाओं में पहले ही कोई मानसिक रोग से जुड़ी समस्या है; तो डिलीवरी के बाद उन्हें पोस्टपार्टम डिप्रेशन की समस्या हो सकती हैं।

प्रेगनेंसी के बाद डिप्रेशन का घरेलू उपचार क्या है ? Pregnancy Ke Baad Depression

दोस्तों, पोस्ट प्रेगनेंसी डिप्रेशन की समस्या से छुटकारा पाने के लिए महिलाओं को अपने परिवार का साथ बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसी परिस्थिति में महिलाएं घर पर रहकर ही कुछ घरेलू उपाय अपना सकती है और अपने जीवन शैली में कुछ उचित बदलाव कर सकते हैं; जिसके चलते वह पोस्ट प्रेगनेंसी डिप्रेशन की समस्या को काफी नियंत्रित कर पाती हैं।

१) स्वस्थ आहार –

दोस्तों, बच्चे को जन्म देने के बाद महिलाओं के शरीर में आयरन की कमी, विटामिन डी की कमी तथा अन्य पोषक तत्वों की कमी देखी जाती हैं। ऐसा होने पर उनके उन्हें शारीरिक एवं मानसिक रूप से काफी कमजोरी का अनुभव होता है। साथ ही, बच्चों को जन्म देने के बाद महिलाओं के शरीर में हो रहे तीव्र बदलावों के साथ एडजस्ट करते हुए महिलाओं में भावनिक रूप से काफी कमजोरी भी देखी जाती हैं।

पोस्टपार्टम डिप्रेशन की समस्या को नियंत्रित करने के लिए महिलाओं को अपना आहार स्वस्थ बनाए रखना बहुत ही आवश्यक होता है। स्वस्थ आर के तहत महिलाएं हरी पत्तेदार सब्जियां, सभी प्रकार की दालें, साबुत अनाज, स्प्राउट, सलाद, ताजे फल, फलों का जूस जैसे पोषक तत्वों से युक्त पदार्थों का सेवन कर सकती हैं। यह सारे ही पदार्थ महिलाओं के शरीर में अच्छे से अवशोषित हो जाते हैं और दूध के जरिए बच्चे के शरीर में भी पहुंचते हैं; जिसके चलते उसका भी शारीरिक और मानसिक विकास होने में मदद मिल पाती हैं।

२) योग प्राणायाम –

बच्चे को जन्म देने के बाद उसका पालन पोषण करने में ही मां का पूरा दिन गुजर जाता है। बच्चे की सेहत का ख्याल रखते हुए मां अपनी सेहत की और ठीक तरीके से ध्यान नहीं दे पाती हैं। लेकिन, इसी कारण महिलाओं में नींद की कमी, अपर्याप्त आहार जैसे कारणों की वजह से महिलाओं में पोस्ट पाटन डिप्रेशन के समस्या हो जाती है।

यह समस्या का इलाज करने के लिए महिलाओं को अपने रूटीन में योग तथा प्राणायाम जैसे अच्छे आदतों का पालन करना चाहिए। योग प्राणायाम करने से महिलाओं के मस्तिष्क की कार्यप्रणाली तथा पुरी ही शारीरिक कार्य प्रणाली पर अच्छा प्रभाव पड़ता है; जिसके चलते महिलाएं मानसिक और भावनात्मक रूप से मजबूत बनती है। ऐसा होने पर महिलाओं में पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षणों को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।

३) परिवार का साथ –

पोस्ट प्रेगनेंसी डिप्रेशन की समस्या को नियंत्रित करने के लिए और भावनात्मक रूप से मजबूत बनने के लिए महिलाओं को अपने परिवार का और जीवन साथी का साथ भी बहुत ही महत्वपूर्ण बात मानी जाती हैं। अगर घर के लोग महिला को उस परिस्थिति में समझ नहीं पाते हैं; तो ऐसे परिस्थिति से लड़ना उस महिला के लिए काफी चुनौतीपूर्ण हो जाता है।

वहीं दूसरी ओर, अगर घर के लोग तथा उसका जीवन साथी इस डिप्रेशन की समस्या को नियंत्रित करने के लिए उसका पूरी तरीके से साथ निभाते हैं; तो वह बहुत ही आसानी से और मजबूती से इस समस्या का सामना करती है। बच्चे को जन्म देने के बाद जब घर के सभी लोग मां के साथ मिलकर उसका उसकी देखभाल करते हैं; तो महिलाओं का आधा काम और चिंता वही मिट जाती है तथा वह पोस्टपार्टम डिप्रेशन से उबरने में छुटकारा पाने में सफल भी हो पाती है।

४) अकेलेपन से बचे –

बच्चे की देखभाल, बार-बार स्तनपान तथा घर की जिम्मेदारियों का संभालते हुए महिलाएं खुद के लिए वक्त नहीं निकाल पाती है। लेकिन, जब भी वह अकेली पड़ती है; तब उनके मन में काफी सारे भावनात्मक विचार उम्र कर आते हैं और वह चिंता ग्रस्त हो जाती हैं। इसीलिए, घर के कामों को संभालते हुए महिलाओं को अपने खुद के लिए भी अच्छा वक्त निकालना चाहिए तथा अकेलेपन से भी बचना चाहिए। महिलाएं अकेलेपन से सुरक्षित रहने के लिए अपने किसी फ्रेंड से बात कर सकती हैं या अपने घर वालों के साथ समय व्यतीत कर सकती हैं। ऐसा करने से वह खुद के लिए भी समय निकाल दी है और अकेलेपन से भी सुरक्षित रह पाती हैं; जिसके चलते पोस्टपार्टम डिप्रेशन की समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है।

५) समय-समय पर जांच –

दोस्तों, डिलीवरी चाहे नॉर्मल हो या सी सेक्शन डिलीवरी हो; डिलीवरी के बाद महिलाओं के शरीर में आने वाले बदलाव उनके स्वास्थ्य को खराब कर सकते हैं। इसीलिए, महिलाओं को अपने शरीर में होने वाले हार्मोनल चेंजेज के समय-समय पर जांच करते रहना चाहिए; ताकि वह शरीर में हो रहे बदलावों को जान सके और उनके साथ एडजस्ट करने के लिए हमेशा प्रयत्नशील रह सके।

साथ ही, डिलीवरी के बाद महिलाओं के शरीर में कई सारे पोषक तत्वों की कमी आ जाती है; जिनसे उबरने के लिए उनको अपने स्वस्थ आहार और स्वस्थ जीवन शैली को भी मेंटेन करना होता है। ऐसे में, अगर आप समय-समय पर खुद के शरीर की डॉक्टर के पास जाकर जांच करवाते रहती है; तो आप डॉक्टर की निगरानी में रहती है और किसी भी अनचाहे बदलाव को वक्त रहते ठीक किया जा सकता है।

प्रेगनेंसी के बाद डिप्रेशन की सबसे अच्छी दवा कौन सी है ? Pregnancy Ke Baad Depression Ki Dawa

प्रेगनेंसी के बाद डिप्रेशन की सबसे अच्छी दवा
प्रेगनेंसी के बाद डिप्रेशन की सबसे अच्छी दवा

दोस्तों, प्रेगनेंसी के बाद और बच्चे को जन्म देने के बाद पोस्टपार्टम डिप्रेशन की समस्या के लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। डॉक्टर माता की स्वास्थ्य संबंधित गंभीरता के अनुसार उनको पोस्टपार्टम डिप्रेशन का इलाज करवाने की सलाह देते हैं।

प्रसव होने के बाद डिप्रेशन की समस्या का इलाज करने के लिए डॉक्टर महिलाओं को एंटीडिप्रेसेंट दवाइयों का सेवन करने की सलाह देते हैं। इन दवाइयों का सेवन करने के बाद पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षणों को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है और उन्हें वक्त रहते ही किया जा सकता है। परंतु, महिलाओं को एंटीडिप्रेसेंट दवाइयों का सेवन अपने आपसे बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। वरना इससे उनको साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं; जो उनके और उनके बच्चे के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं।

वहीं दूसरी ओर, प्रेगनेंसी के बाद डिप्रेशन की समस्या से राहत पाने के लिए डॉक्टर टॉक थेरेपी की भी सलाह देते हैं। इस थेरेपी की मदद से माताओं को भावनिक रूप से मजबूत बनाने का काम किया जाता है और उनको सकारात्मक विचारों से प्रेरित किया जाता है; जिसके चलते वह अपने आप ही पोस्टपार्टम डिप्रेशन की समस्या से राहत पाने में मदद करती हैं।

साथ ही, कई महिलाओं में पोस्टपार्टम डिप्रेशन की समस्या का इलाज करने के लिए हार्मोन थेरेपी का भी इस्तेमाल किया जाता है; जिसके तहत प्रसव के बाद महिलाओं के शरीर में कम होने वाले एस्ट्रोजन हार्मोन के स्तर को संतुलित किया जाता है और पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षणों को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।

डिलीवरी के बाद डिप्रेशन से कैसे बचें ? Delivery Ke Baad Depression Se Kaise Bache ?

दोस्तों, डिलीवरी के बाद आने वाली पोस्टपार्टम डिप्रेशन की समस्या से सुरक्षित रहने के लिए निम्नलिखित उपायों को अपनाने से और कुछ बातों का ध्यान रखने से महिलाएं इस समस्या से हमेशा के लिए दूर रह सकती हैं।

  1. पोस्टपार्टम डिप्रेशन की समस्या से सुरक्षित रहने के लिए महिलाओं को अपने नवजात शिशु के साथ ज्यादा से ज्यादा समय व्यतीत करना चाहिए, उसे स्तनपान कराना चाहिए और उसकी देखभाल करनी चाहिए। ऐसा करने से आपका आप के शिशु से भावनात्मक जुड़ाव बढ़ता है; जो हर डिप्रेशन समस्या से सुरक्षित रहने का सबसे बढ़िया उपाय होता है।
  2. डिलीवरी के बाद आने वाले डिप्रेशन की समस्या से सुरक्षित रहने के लिए महिलाओं को अपनी सेहत का भी ध्यान रखना चाहिए और अपनी जीवनशैली को संतुलित बनाए रखना चाहिए।
  3. पोस्टपार्टम डिप्रैशन की समस्या से बचे रहने के लिए महिलाओं को अपने खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिए, समय समय पर अपना आहार लेते रहना चाहिए और जंक फूड को बाय-बाय बोलना चाहिए।
  4. पोस्टपार्टम डिप्रैशन की समस्या से सुरक्षित रहने के लिए महिलाओं को किसी अनुभवी माताओं के साथ बात करनी चाहिए; जिससे वह उनके अनुभव जान पाते हैं और पोस्टपार्टम डिप्रेशन की समस्या से सुरक्षित भी रह पाती हैं।
  5. हो सके; तो रोज सुबह ताजी हवा में घूमने जाएं और थोड़ा वॉक करें। ऐसा करने से आपकी दिन की शुरुआत बहुत अच्छी होती है और पूरे ही दिन भर की थकावट दूर हो जाती हैं।
  6. डिलीवरी के बाद अपने आप को पूरा समय देने की कोशिश करें। उस समय में आप अपने मन पसंदीदा काम को कर सकती हैं; जिससे आपको भावनिक और मानसिक रूप से खुशी मिलती है और आप पोस्टपार्टम डिप्रेशन की समस्या से सुरक्षित रह पाती हैं।
  7. डिलीवरी के बाद अपने मन में आए हुए हर खयाल को अपने जीवन साथी तथा परिवार के सदस्यों के साथ बैठने की कोशिश करें। ऐसा करने से आपको खुशी मिलती है और आपका जीवन साथी अतिरिक्त प्रयास करते हुए आपकी भावनाओं को समझता है। ऐसा करने से आप पोस्टपार्टम डिप्रेशन की समस्या से सुरक्षित रह पाती हैं।
  8. डिलीवरी के बाद खुद के लिए समय निकालते हुए महिलाओं को रोजाना तौर पर योग प्राणायाम तथा मेडिटेशन जैसी अच्छी आदतों का पालन जरूर करना चाहिए। योग प्राणायाम पोस्टपार्टम डिप्रेशन की समस्या से सुरक्षित रहने का सबसे बेहतरीन उपाय होता है।

तो दोस्तों, आज के लिए बस इतना ही। उम्मीद है, आपको आज का यह ब्लॉग अच्छा लगा हो। धन्यवाद।

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