नमस्ते दोस्तों, कैसे हो आप ? आज हम पीरियड्स में पूजा करनी चैये या नहीं ? इसके बारे में जानेंगे | हम सभी जानते हैं; कि मासिक धर्म के दौरान हर महिला को कितना दर्द और पीड़ा से गुजरना पड़ता है। हमारे भारत देश में आज की मासिक धर्म को लेकर खुलकर चर्चा करने से लोग कतराते हैं। इसी कारण, ग्रामीण इलाकों में महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान कई सारी पीड़ाओं का सामना करना पड़ता है।
महावारी के दौरान महिलाओं को घर के काम करने की भी इजाजत नहीं होती है। मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को शारीरिक पीड़ा से गुजरना पड़ता है। इसीलिए, पुराने जमाने में महिलाओं को घर के काम करने से परहेज किया जाता था; ताकि उन्हें अधिक मात्रा में शारीरिक श्रम ना उठाना पड़े।
हिंदू धर्म में माहवारी के दौरान महिलाओं को पूजा करने की और मंदिर जाने की सख्त मनाई है। पहले जमाने में तो इस बात को बिना किसी दिक्कत मान लिया जाता था। लेकिन, आजकल की महिलाएं इस पर सवाल खड़ा करती है; कि जिस प्रक्रिया के दौरान महिला मां बनती है और जो सृजन शक्ति का प्रतीक है, ऐसी माहवारी अशुभ कैसे हो सकती है?
दोस्तों, आज हम जाननेवाले हैं इसी के पीछे की वजह! मासिक धर्म के दौरान पूजा करने को मनाई क्यों की जाती है, इसके पीछे भी कई रोचक तथ्य है। तो दोस्तों आज जानेंगे पीरियड्स में पूजा करनी चाहिए या नहीं?
पीरियड्स में पूजा क्यों नहीं की जाती ? Periods Me Pooja
पुराने जमाने से हमारे बुजुर्ग जो मान्यताएं मानते आ रहे हैं और उनको निभाते आ रहे हैं; उनके पीछे भी कई वैज्ञानिक तथ्य मौजूद होते थे और वह आज भी मौजूद है। लेकिन, आज भी वह तथ्य बहुत से लोग जानते नहीं हैं। इसीलिए, पुराने जमाने से चलती आ रही मान्यताओं को अंधश्रद्धा और कुप्रथा में बदल गई हैं। मासिक धर्म के दौरान पूजा पाठ करने के पीछे भी बहुत बड़ी वजह है। पुराने जमाने में लोग पूरी तैयारी और बड़े अनुष्ठान करके ही पूजा पाठ को निभाते थे।
पूजा पाठ करते समय हर सामग्री उपस्थित होना बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता था; जिसे जुटाने में अधिक समय और ऊर्जा की जरूरत होती थी। पूजा पाठ करते समय उच्च स्वर में मंत्रोचार करना पड़ता था और पूजा, अनुष्ठान काफी देर तक चलता था। देर तक चलने वाले इस अनुष्ठान एवं पूजा के लिए अधिक मात्रा में ऊर्जा की आवश्यकता होती थी। किन्तु, महावारी के दौरान महिलाओं को शारीरिक पीड़ा जैसे कमर दर्द, मांसपेशियों की ऐंठन, थकावट, कमजोरी जैसी शारीरिक समस्याओं के कारण महिलाएं पहले से ही त्रस्त रहती।
इसी कारण, मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को मंत्रोच्चार और अनुष्ठान करने की ऊर्जा प्राप्त नहीं होती थी और पूजा करना भी संभव नहीं हो पाता था। वहीं दूसरी ओर, पुराने जमाने में सेनेटरी पैड उपलब्ध नहीं होते थे। महिलाएं महावारी के दौरान कपड़े का ही इस्तेमाल करती थी। ऐसे में, कई बार महिलाओं के कपड़े खराब हो जाते थे और हाइजीन का तो कोई ठिकाना ही नहीं रहता था। ऐसे में, पूजा के दौरान शुद्धता महत्वपूर्ण होती हैं; जो कि एक रजस्वला स्त्री नहीं रख पाती थी।
इन्हीं कारणों की वजह से पुराने जमाने से महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान पूजा पाठ करने की मनाई है। लेकिन, पूजा पाठ करने के लिए आपको शरीर की नहीं बल्कि अपने स्वच्छ और आस्था से भरे मन की जरूरत होती है; जो कि अधिक महत्व रखता है। पुराने जमाने में भी आस्था से मन ही मन में भगवान जी का जाप करने पर कोई निर्बंध नहीं था और आज भी नहीं है।
मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को पूजा करने की मनाई है, यह बात तो आज के लोग जानते हैं। लेकिन, मन ही मन में भगवान जी का जाप करने की मनाही पुराने जमाने में भी नहीं थी और अब भी नहीं है; यह आजकल के मॉडल लोग भूल जाते हैं।
व्रत के दौरान पीरियड्स आने पर क्या करें ? Vrat me Periods Ane Par
दोस्तों, कई बार ऐसा भी होता है? कि विशिष्ट या हर महीने आने वाले व्रत जैसे; एकादशी, चतुर्थी ये व्रत रखने के बाद पीरियड शुरू हो जाते हैं। ऐसे में, महिलाओं के मन में अधिक मात्रा में शंका उत्पन्न होती है; कि अब क्या करें? तो ऐसे में, सबसे पहले तो आप अपना व्रत जारी रखें। सभी नियमों के साथ आप अपने व्रत का पालन करें और मन ही मन में भगवान जी का जाप शुरू रखें।
इस तरह से पीरियड्स के दौरान व्रत करना भी उतना ही शुभ और फलदायक होता है; जितना किसी सामान्य स्थिति में हो। क्योंकि, भगवान आपकी आस्था को देखते हैं, आपके मन की शुद्धता को देखते हैं; ना कि आपकी शरीर के माध्यम से उनकी की जाने वाली पूजा को देखते हैं। इसीलिए, व्रत रखने के बाद पीरियड शुरू हो जाए; तो सभी नियमों के तहत व्रत को जारी रखें और मन ही मन में भगवान जी का नामस्मरण शुरू रखें।
तो दोस्तों, आज के लिए बस इतना ही। उम्मीद है, आपको आज का यह ब्लॉग अच्छा लगा हो। धन्यवाद।