नमस्ते दोस्तों, कैसे हो आप? आज का आर्टिकल होने वाला है, मेनोपॉज इस विषय के बारे में। जब भी महिलाओं के बारे में कुछ भी लिखते हैं; तब हम हमेशा कहते हैं; कि महिलाओं का जीवन किसी संघर्ष से कम नहीं होता! यह लाइन लिखने के पीछे कई सारा अनुभव तथा रिसर्च होता है; जो हमें यह लाइन कहने पर मजबूर कर देता है! महिलाओं के जीवन में ताउम्र बदलाव देखे जाते हैं; जो शारीरिक, मानसिक, यौन तथा सामाजिक रूप से होते हैं।
किशोरावस्था के दौरान जब एक लड़की के पीरियड्स शुरू होते हैं; तब वह काफी असमंजस में आ जाती है। योनि से निकलने वाले खून को देखते हुए लड़की घबरा जाती है और पीरियड्स की स्थिति को एडजस्ट करने में उसे काफी समय लगता है। युवावस्था के दौरान लड़की की शादी हो जाती हैं; उसके बाद उसका सेक्स लाइफ शुरू होता है। सेक्स लाइफ शुरू होने पर भी उसके शरीर में मौजूद हारमोंस में काफी बदलाव आ सकते हैं; जो उसे अचरज में डाल देते हैं।
बच्चों को पैदा करते हुए महिलाएं अपने शरीर की पूरी कार्यप्रणाली दांव पर लगा देते हैं; जिसकी वजह से डिलीवरी होने के बाद रिकवरी करने में उन्हें काफी समय लगता है। जैसे तैसे जीवन में सेटल हो रहे होते हैं; कि तब अचानक से आ धमकता है; मेनोपॉज का दौर! मेनोपॉज हर महिला के लिए अलग-अलग रूपों से आता है; जिसकी तीव्रता हर महिला के जीवन में एक-दूसरे से काफी अलग होती हैं।
मेनोपॉज के दौर में प्राकृतिक रूप से चलने वाली माहवारी या मासिक धर्म का चक्र पूरी तरीके से बंद हो जाता है। मेनोपॉज एक दिन में नहीं होता या एक महीने में नहीं होता है। मेनोपॉज का दौर बहुत लंबा चल सकता है। दोस्तों, “पेरिमेनोपॉज” एक ऐसा दौर होता है; जिसमें पीरियड्स काफी रेगुलर हो जाते हैं, लेकिन ब्लीडिंग होती रहती हैं। परंतु, एक बार लगभग एक वर्ष का यह पीरियड खत्म हो जाने के बाद ब्लीडिंग लगभग बंद हो जाती है।
जब एक महिला को लगभग १२ महीनों तक पीरियड से नहीं आते हैं; तो उस दौर को “मेनोपॉज” कहा जाता है। आमतौर पर, ४५ से ५५ की उम्र के बीच आने वाले इस मेनोपॉज की के दौर को झेलते हुए महिलाएं शारीरिक और मानसिक रूप से काफी परेशान हो जाती हैं। मेनोपॉज का अनुभव हर महिला के लिए बहुत ही अलग होता है।
तो आइए दोस्तों, आज जानेंगे; महिलाओं में आने वाले मेनोपॉज के दौर के बारे में पूरी जानकारी।
मेनोपॉज क्या है ? Menopause Kya Hai ?
दोस्तों, मेनोपॉज को “रजोनिवृत्ति” के नाम से भी जाना जाता है और इस प्रक्रिया में महिला की माहवारी पूरी तरीके से बंद हो जाती हैं। आमतौर पर, ४५ से ५५ की उम्र के बीच महिलाओं को मेनोपॉज का दौर का अनुभव करने को मिलता है। हर महिला का शारीरिक, मानसिक तथा यौन स्वास्थ्य एक-दूसरे से काफी अलग होता है; इसीलिए हर महिला में मेनोपॉज के लक्षण तथा मेनोपॉज की तीव्रता एक-दूसरे से काफी अलग पाई जाती है।
जब किसी महिला के पीरियड्स लगभग १२ महीने तक नहीं आते हैं; तब उस स्थिति को “मेनोपॉज” यानी रजोनिवृत्ति कहा जाता है। एक बार माहवारी बंद हो जाने के बाद फिर से ब्लीडिंग नहीं होता है। मेनोपॉज हो जाने के बाद एक महिला प्राकृतिक रूप से गर्भधारणा नहीं कर पाती है। कई महिलाओं के लिए मेनोपॉज का दौर बहुत ही सामान्य होता है; जिसे किसी भी तरह की मेडिकल हेल्प की जरूरत नहीं पड़ती हैं।
लेकिन, कुछ महिलाओं को मेनोपॉज के दौरान गंभीर लक्षण दिखाई देते हैं; जिसके तहत उन्हें डॉक्टर के सलाह की आवश्यकता पड़ती है। मेनोपॉज के पीरियड के दौरान महिलाओं के शरीर में सेक्सुअल हार्मोन का उत्पादन धीरे-धीरे घटने लगता है और एक वक्त जाने के बाद पूरी तरीके से बंद हो जाता है।
दोस्तों, मेनोपॉज की इस प्रक्रिया के दौरान महिलाएं कई सारे लक्षण, पीड़ा तथा दर्द का अनुभव करती है; जो वह किसी से भी शेयर नहीं कर पाती है और ना ही घर में उसकी इस अवस्था को कोई ठीक तरीके से समझ पाता है। महिलाओं के शरीर में प्रोजेस्टेरोन तथा एस्ट्रोजन नामक हार्मोन उनके प्रजनन प्रणाली के लिए काफी हद तक जिम्मेदार होते हैं।
बढ़ती उम्र के साथ महिलाओं के शरीर में इन हार्मोन का उत्पादन कम होते जाता है और धीरे-धीरे पूरी तरीके से बंद हो जाता है। इसी कारणवश, महिलाओं में मेनोपॉज का दौर शुरू हो जाता है। साथ ही, अगर महिलाओं के अंडाशय या गर्भाशय से जुड़े उन्हें कोई समस्या है और समस्या गंभीर होने पर डॉक्टर सर्जरी करवाने की सलाह देते हैं; तो पूर्ण रूप से हिस्टेक्टोमी में करवाने के बाद महिलाओं में वक्त से पहले भी मेनोपॉज शुरू हो सकता है।
मेनोपॉज के लक्षण क्या है ? Menopause Ke Lakshan
दोस्तों, मेनोपॉज का दौर हर महिला के लिए अलग रूप से चुनौतीपूर्ण साबित होता है। इसलिए, महिलाओं में अलग-अलग लक्षणों का अनुभव हो सकता है। सामान्य तौर पर, मेनोपॉज का दौर होने पर महिलाओं में निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं।
- रजोनिवृत्ति का दौर आने पर महिलाओं को शरीर में अतिरिक्त गर्माहट का अनुभव होता है।
- रजोनिवृत्ति के दौर में महिलाओं के स्तनों में कोमलता जाती हैं और उन में सूजन पैदा हो जाती हैं।
- बढ़ती उम्र के साथ मेनोपॉज का दौर शुरू होने पर महिलाओं के योनि में सूखापन बढ़ जाता है।
- महिलाओं के योनि में रजोनिवृत्ति का दौर आने पर उनके शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन की मात्रा कम होने लगती है; जिसके चलते उनके जननांग की इलास्टिसिटी कम होने लगती है और वह ढीले पड़ने लगते हैं।
- रजोनिवृत्ति के दौरान महिलाओं को योनि में से अनियमित रक्तस्त्राव होता है।
- रजोनिवृत्ति के दौरान महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन की मात्रा कम हो जाती है; जिसके चलते उन्हें यूरिनरी लीकेज की समस्या हो जाती हैं।
- शारीरिक रूप से होने वाले बदलाव रजोनिवृत्ति के दौरान महिलाओं में चिड़चिड़ा हट को पैदा करते हैं और उनका मूड बदलते रहता है; जिसके चलते वह मूड स्विंग्स का शिकार हो जाती हैं।
- रजोनिवृत्ति के दौर से गुजरते हुए महिलाओं का पाचन तंत्र धीरे से काम करने लगता है और कमजोर पड़ जाता है; जिसके चलते महिलाओं का वजन बढ़ने लगता है।
- रजोनिवृत्ति के दौरान महिलाओं को अनिद्रा की समस्या हो जाती हैं।
मेनोपॉज के बाद ब्लीडिंग हो सकती है क्या ? Menopause Ke Baad Bleeding Hona
दोस्तों, लगभग ४० की उम्र के बाद महिलाओं में मेलो बॉस का शुरुआती दौर शुरू हो जाता है। पेरिमेनोपॉज एक ऐसी स्थिति होती है; जिसमें महिलाओं में पीरियड्स का इरेगुलर हो जाते हैं और ब्लीडिंग फिर भी जारी रहती हैं। लेकिन, जब १२ महीनों तक किसी महिला की उचित रूप से माहवारी नहीं आती है; तब उस दौर को मेनोपॉज कहा जाता है और उसके बाद उसे कभी भी ब्लीडिंग नहीं होनी चाहिए।
मेनोपॉज हो जाने के बाद भी अगर किसी महिला को ब्लीडिंग या स्पॉटिंग होती रहती हैं; तो यह चिंताजनक विषय माना जाता है। क्योंकि, यह आपके खराब प्रजनन स्वास्थ्य को दर्शाता है; जिसके लिए आपको डॉक्टर की सहायता की आवश्यकता पड़ती है। अगर रजोनिवृत्ति के बाद भी महिलाओं को ब्लीडिंग होती रहती है; तब ब्लीडिंग होने का कारण का पता लगाने में काफी परेशानी का अनुभव होता है।
रजोनिवृत्ति के बाद भी अगर महिलाओं को थोड़ी भी स्पॉटिंग या ब्लडिंग होती हैं; तो उन्हें तुरंत गाइनेकोलॉजिस्ट या विशेषज्ञ की सलाह लेना आवश्यक माना जाता है। मेनोपॉज के बाद होने वाला ब्लीडिंग या स्पॉटिंग कई तरह की गंभीर बीमारियों का संकेत और लक्षण माना जाता है। जैसे; गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर, योनि का कैंसर, युटेरस को अस्तर देनेवाले टिश्यूस का पतला होना, मूत्र मार्ग या मलाशय से ब्लीडिंग, एंडोमेट्रियोसिस, गर्भाशय या एंडोमेट्रियल कैंसर, फाइब्रॉइड आदि।
मेनोपॉज की सही उम्र क्या है ? Menopause Ki Sahi Age ?
दोस्तों, जैसे जैसे महिलाओं की उम्र बढ़ती जाती है; वैसे वैसे उनके शरीर में प्रोजेस्टेरोन तथा एस्ट्रोजन नामक हार्मोन का उत्पादन धीरे धीरे कम होते जाता है और एक दिन पूरी तरीके से बंद हो जाता है। ऐसा होने पर महिलाओं के पीरियड रेगुलर हो जाते हैं और धीरे धीरे करते हुए पूरी तरीके से बंद हो जाते हैं। इसी को मेनोपॉज कहा जाता है।
आमतौर पर, मेनोपॉज की औसतन उम्र ४५ से ५५ मानी गई है। हर महिला का मेनोपॉज का दौर एक-दूसरे से काफी अलग होता है और मेनोपॉज के दौरान दिखने वाले लक्षण भी एक दूसरे से काफी अलग हो सकते हैं। हालांकि, कुछ महिलाओं में मेनोपॉज के शुरुआती लक्षण ४० की उम्र के बाद ही दिखना शुरू हो जाता है।
वहीं दूसरी ओर, कुछ महिलाओं में ५० की उम्र के बाद भी रजोनिवृत्ति के कोई भी लक्षण नहीं दिखाई देते हैं; ऐसी परिस्थिति में उनको डॉक्टर की सलाह लेना आवश्यक माना जाता है।
मेनोपॉज के दौरान शारीरिक संबंध बनाए जा सकते हैं क्या ? Menopause Ke Samay Sex Karna
दोस्तों, जैसा कि हमने जाना; मेनोपॉज का दौर महिलाओं के लिए काफी परेशानियों का दौर साबित होता है। ऐसे में, महिलाओ के शरीर में घटते हुए हार्मोन के स्तर के साथ एडजस्ट करने में महिलाओं को काफी समय लगता है। ऐसे में, मेनोपॉज के दौरान महिलाएं सेक्स कर सकती है या नहीं; यह सवाल उत्पन्न होता है।
रजोनिवृत्ति के दौरान महिलाओं में कामेच्छा की कमी देखी जाती है; जिसके चलते उन्हें सेक्स करने का मन नहीं करता है। रजोनिवृत्ति के दौरान कामेच्छा की कमी होना, काफी आम बात मानी जाती है। रजोनिवृत्ति के दौरान महिलाओं के योनि में सूखापन आ जाता है; जिसके चलते सेक्स करते हुए उन्हें काफी तकलीफ और दर्द होता है।
रजोनिवृत्ति के दौरान सेक्स को आसान बनाने के लिए महिलाओं द्वारा केवी जेली, सेंसेल जैसे चिकने लुब्रिकेंट्स का इस्तेमाल किया जाना चाहिए; जिससे शारीरिक संबंध बनाते हुए महिलाओं को योनि में सूखापन महसूस नहीं होता है और सेक्स की प्रक्रिया आसान बन जाती है।
अगर सेक्स के दौरान लुब्रिकेंट का इस्तेमाल करने के बावजूद महिलाओं के योनि में सूखापन की समस्या नहीं जाती है; तो उन्हें डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए। मेनोपॉज के बाद भी सेक्स लाइफ को जारी रखने के लिए और अपने शरीर में सेक्स ड्राइव को बढ़ाने के लिए महिलाएं डॉक्टर की सलाह लेकर इस समस्या का समाधान पा सकती हैं।
मेनोपॉज के उपाय : Menopause Ke Upay
दोस्तों, रजोनिवृत्ति के दौरान होने वाले तीव्र लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए महिलाएं निम्नलिखित घरेलू उपाय अपना सकते हैं; जिसके तहत उन्हें रजोनिवृत्ति के दौर में कम दर्द और पीड़ा होती हैं।
१) एक्सरसाइज –
दोस्तों, एक्सरसाइज चाहे कैसी भी हो; हर उम्र के लोग एक्सरसाइज कर सकते हैं और अपने आप को सेहतमंद बनाए रख सकते हैं। महिलाओं के जिंदगी में आने वाले मेनोपॉज के दौर को आसान एवं दर्द रहित बनाने के लिए महिलाएं किसी एक्सपर्ट की सलाह के अनुसार विशिष्ट प्रकार की एक्सरसाइज का सहारा अवश्य ले सकती हैं। रजोनिवृत्ति के दौरान नियमित तौर पर एक्सरसाइज या व्यायाम करने से महिलाओं को अनिद्रा, तनाव जैसी समस्याओं से राहत मिलने में मदद मिल पाती है और महिलाएं एक एनर्जी भरे जीवन को जीप आती हैं।
साथ ही, मेनोपॉज के दौरान नियमित तौर पर अभ्यास करने से महिलाओं में पाचन तंत्र की समस्याएं, डायबिटीज, ओस्टियोपोरोसिस, हाई बीपी, मोटापा, स्ट्रोक और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां से सुरक्षित रहें पाती है। एक्सरसाइज के साथ-साथ महिलाएं विविध प्रकार के योगासन तथा प्राणायाम का अभ्यास भी कर सकती है; जिससे उनके मस्तिष्क की कार्यप्रणाली में सुधार आता है और मानसिक रुप से उन्हें शांति मिल पाती है।
२) संतूलित आहार –
मेनोपॉज के दौरान होने वाले शारीरिक तकलीफों को कम करने के लिए महिलाओं को अपना आहार संतुलित बनाए रखना बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। अपने आहार में सभी पोषक तत्वों से युक्त पदार्थों का सेवन करने के बाद महिलाएं रजोनिवृत्ति के दौरान होने वाली कई परेशानियों से सुरक्षित रह पाती है। फल तथा सब्जियों में कैलोरीज़ काफी कम मात्रा में पाई जाती हैं; जिससे उनका वजन नियंत्रित रहता है, वह हृदय रोग, स्ट्रोक जैसी समस्याओं से सुरक्षित रह पाती है और उनकी हड्डियां भी मजबूत रह पाती हैं। संतुलित आहार के तहत महिलाओं को सभी हरी पत्तेदार सब्जियां, फल, फलों के जूस, ड्राई फ्रूट्स, नट्स, सब्जियों के सूप, साबुत अनाज, सलाद, स्प्राउट, पनीर, अंडे, मछली का निर्धारित मात्रा में सेवन अवश्य करना चाहिए।
३) सही वजन मेंटेन करना –
बढ़ती उम्र के साथ आने वाला मेनोपॉज महिलाओं के लिए मोटापा भी लेकर आता है; जिससे महिलाएं अतिरिक्त मानसिक तनाव में आ जाती है और यह समस्याएं दिन पर दिन बढ़ते ही जाती हैं। मेनोपॉज के दौरान अपने वजन को नियंत्रित रखने से महिलाएं मेनोपॉज के दौरान होने वाली कई सारी परेशानियों से सुरक्षित रह पाती है।
अपने वजन को नियंत्रित रखने के लिए अपने जीवन शैली तथा आहार की पद्धति को उचित रखना बहुत ही आवश्यक होता है। अपने जीवन शैली में तनाव को कम करें, नियमित तौर पर एक्सरसाइज करें और आहार को संतुलित बनाए रखें; जिससे आप मेनोपॉज के दौरान भी अपने वजन को नियंत्रित कर पाती हैं और कई सारी शारीरिक और मानसिक समस्याओं से राहत मिल पाती है।
४) नशे से दूरी –
अगर महिलाएं पहले से ही किसी शराब, धूम्रपान, तंबाकू के पदार्थ या अन्य कई नशीली चीजों का सेवन करती है; तो उन्हें मेनोपॉज के दौरान इन सभी चीजों को त्यागना बहुत ही आवश्यक हो जाता है। यह सारी ही गलत आदतें आपके प्रजनन स्वास्थ्य पर बहुत ही बुरा प्रभाव डालती हैं; जिसके चलते आपको मेनोपॉज में कई सारी जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है।
इसीलिए, मेनोपॉज के दौरान जितनी जल्दी हो सके; उतना जल्दी इन सभी गलत आदतों को छोड़ें और अपने मेनोपॉज के दौर को आसान बनाएं। लाजमी है; एक बार नशे की लत लग जाने पर उसे छुड़ाना इतना आसान नहीं होता है! लेकिन, आप किसी एक्सपर्ट की राय लेकर या नशा मुक्ति केंद्र का सहारा लेकर अपने गलत आदतों से छुटकारा पा सकती हैं।
मेनोपॉज का आयुर्वेदिक इलाज : Menopause Ka Ayurvedic Ilaj
दोस्तों, हमारा आयुर्वेद शास्त्र काफी पुराना, संपन्न और समृद्ध है। आयुर्वेद शास्त्र में विभिन्न प्रकार की जड़ी बूटियों का इस्तेमाल करते हुए विविध प्रकार की औषधियों का निर्माण किया जाता है; जिससे महिलाओं की शारीरिक, मानसिक तथा यौन संबंधित समस्याओं से उन्हें छुटकारा मिल पाता है।
मेनोपॉज के लक्षणों को ध्यान में रखते हुए महिलाओं के लिए आयुर्वेद शास्त्र में विशिष्ट प्रकार की औषधियों का निर्माण किया गया है; जिनका सेवन आप किसी भी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार अवश्य करें।
१) नागकेसर –
मेनोपॉज के दौरान कई महिलाओं को शारीरिक कमजोरी तथा मानसिक थकावट का भी अनुभव होता है। साथ ही, रजोनिवृत्ति के इस दौर में महिलाओं के शरीर के कई अंगों में सूजन, जलन तथा दर्द का अनुभव होता है। ऐसे में, मेनोपॉज के इस दौर में होने वाले इन सभी समस्याओं से राहत पाने के लिए आप आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार नागकेसर औषधि से निर्मित दवाइयों का सेवन अवश्य करें।
नागकेसर में एंटी इन्फ्लेमेटरी, एंटीबैक्टीरियल जैसे औषधीय तत्व पाए जाते हैं; जो महिलाओं के शरीर में होने वाले सूजन दर्द की समस्या से राहत दिलाने में मददगार साबित होते हैं। इसी के साथ, नागकेसर का सेवन करने के बाद महिलाओं के शरीर में आई शारीरिक कमजोरी तथा थकावट दूर होने में मदद मिल पाती है।
२) गुग्गुल –
मेनोपॉज के दौरान महिलाओं के शरीर में अचानक से हार्मोनल बदलाव होते हैं; जिसकी वजह से उन्हें कई सारी शारीरिक स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जैसे; थाइरॉएड, अचानक से वजन बढ़ना या घटना, हाई बीपी जैसी समस्याओं पर नियंत्रण पाना महिलाओं के लिए काफी मुश्किल हो जाता है। ऐसे में, अपने शरीर में हार्मोन के स्तर को बनाए रखने के लिए और मेनोपॉज के दौरान होने वाली इन समस्याओं का बचाव करने के लिए महिलाओं द्वारा गुग्गुल का सेवन करने से काफी लाभ देखने को मिलते हैं। रजोनिवृत्ति के दौरान अगर महिलाओं में वजन बढ़ गया है; तो वह डॉक्टर की सलाह के अनुसार गुग्गुल से निर्मित दवाइयों का सेवन कर सकते हैं।
३) अर्जुन –
रजोनिवृत्ति के दौरान होने वाले बदलावों के साथ-साथ महिलाओं में हृदय रोग की समस्याएं भी बढ़ जाती हैं। रजोनिवृत्ति के दौरान महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन नामक हार्मोन का स्तर घटने लगता है; जिसके चलते कोलेस्ट्रोल, बीपी तथा फैट्स के लेवल को नियंत्रण करना बहुत ही मुश्किल हो जाता है। इस हालात में महिलाओं को अपने ह्रदय स्वास्थ्य को बरकरार रखने के लिए और अन्य कई शारीरिक स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं को नियंत्रित करने के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार अर्जुन नामक जड़ी बूटी द्वारा निर्मित दवाइयों का सेवन अवश्य करना चाहिए। आयुर्वेद शास्त्र में अर्जुन को विशेष तौर पर महत्व दिया गया है; जो ह्रदय स्वास्थ्य को बरकरार रखने में सबसे असरदार जड़ी-बूटी मानी जाती है।
४) मेथी दाना –
बात जब महिलाओं के शारीरिक स्वास्थ्य की आती है; तो मेथी दाने को भूलकर नहीं चलेगा! मेथी दाने में मौजूद अनगिनत प्रकार के पोषक तत्व, औषधीय तत्व महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए बहुत ही अच्छे माने जाते हैं। मेनोपॉज की बात की जाए; तो मेनोपॉज के दौरान महिलाओं द्वारा मेथी दाने का सेवन करने से विशेष तौर पर लाभ देखने को मिलते हैं। रजोनिवृत्ति के दौरान अगर महिलाएं नियमित तौर पर मेथी दाने का पानी या मेथी दाने का किसी अन्य रूप में सेवन कर लेती है; तो उन्हें हार्मोनल बैलेंस बनाए रखने में मदद मिल पाती है तथा पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याओं से भी राहत मिल पाती हैं।
५) अशोका –
महिलाओं के स्वास्थ्य को बरकरार रखने के लिए अशोका नामक जड़ी-बूटी से निर्मित दवाइयों का सेवन करने से भी उन्हें काफी लाभ देखने को मिलते हैं। मेनोपॉज के दौरान आने वाले शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं से राहत पाने के लिए अशोका जड़ी-बूटी से निर्मित विविध प्रकार की दवाइयों का सेवन महिलाओं के लिए बहुत ही फायदेमंद और असरदार साबित होता है। अशोक का जड़ी-बूटी से निर्मित पाउडर, टेबलेट का सेवन किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार करने के बाद मेनोपॉज के दौरान होने वाले शारीरिक तथा मानसिक समस्याओं से महिलाओं को काफी हद तक राहत मिल पाती हैं।
६) शतावरी –
आयुर्वेद शास्त्र में शतावरी को विशेष महत्व दिया गया है; क्योंकि महिलाओं से जुड़ी लगभग हर समस्या का निवारण शतावरी जड़ी बूटी का सेवन करने से मिल पाता है। शतावरी जड़ी बूटी महिलाओं के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। मेनोपॉज के दौरान शतावरी से निर्मित दवाइयों का नियमित तौर पर किया गया सेवन महिलाओं में हार्मोन का बैलेंस रखता है और पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याओं से भी राहत दिलाता है।
इसी के साथ, मेनोपॉज में शतावरी का नियमित तौर पर सेवन करने से महिलाओं में एंजायटी, मूड स्विंग, घबराहट जैसे समस्याओं से छुटकारा मिलने के साथ-साथ; उनको शारीरिक थकावट कमजोरी से भी राहत मिल पाती हैं और मेनोपॉज के दौरान महिलाओं का मानसिक स्वास्थ्य भी बेहतर बन जाता है।
तो दोस्तों, आज के लिए बस इतना ही। उम्मीद है, आपको आज का यह ब्लॉग अच्छा लगा हो। धन्यवाद।