नमस्ते दोस्तों, कैसे हो आप ? आज का आर्टिकल होने वाला है, स्तनपान कराना कब और कैसे बंद करना चाहिए ? इस विषय के बारे में। दोस्तों, बच्चे को जन्म देना और उसे अपना दूध पिलाना हर मां के लिए सबसे खुशी का पल होता है। अपने नन्हे मुन्ने को अपना दूध पिला कर एक माता उसका संपूर्ण शारीरिक और मानसिक विकास करने में अपना बेहतरीन योगदान प्रदान करती हैं।
स्तनपान एक महिला के जीवन का सबसे अनमोल दौर होता है; जिससे गुजरते हुए उसे कई सारी परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है। परंतु, अपने बच्चे की सेहत को ध्यान में रखते हुए माताएं कई सारे बलिदान हमेशा ही देती आ रही है। इसी के साथ, साइंस के अनुसार; स्तनपान कराने से माता के शरीर को कई सारे स्वास्थ्यवर्धक लाभ देखने को मिलते हैं।
स्तनपान कराने से पोस्टपार्टम रिकवरी में माता को काफी आसानी होती है और स्तनपान कराने से महिलाएं ह्रदय रोग जैसी गंभीर बीमारियों से भी सुरक्षित रह सकती हैं। आजकल की माता पहले जैसी नहीं रही है। वह घर की जिम्मेदारियों को संभालते हुए ऑफिस की जिम्मेदारियों को भी संभालती है और अपना योगदान देती हैं।
ऐसे में, पोस्टपार्टम रिकवरी के बाद उन्हें ऑफिस भी लौटना होता है। साथ ही, पहले ६ महीने तक सिर्फ माता के दूध से ही पलने वाला शिशु ६ महीने का होने के बाद में ठोस आहार लेना भी शुरू कर देता है। क्योंकि, ६ महीने का होने के बाद शिशु की पाचन संस्था भी मजबूत हो जाती हैं और उसे अतिरिक्त पोषण की जरूरत होती है; जो सिर्फ मां के दूध से ही पूरा नहीं हो सकता।
इसीलिए, माताओं को स्तनपान बंद कराने के बारे में सोचना पड़ता है। स्तनपान बंद कराना बहुत ही जटिल प्रोसेस होता है और इससे गुजरते हुए माता एवं शिशु दोनों को ही परेशानियों का अनुभव हो सकता है।
स्तनपान कब और कैसे बंद कराना चाहिए; इसके बारे में आज हम जानकारी प्राप्त करने वाले हैं।
स्तनपान कराना बंद क्यों करना होता है ? Stanpan Karna Band Kaise Kare ?
दोस्तों, हर एक बात की एक मर्यादा होती है और उस मर्यादा के बाहर जाकर उस बात को करना लगभग नामुमकिन ही साबित होता है। इसी लिहाज से, स्तनपान नवजात शिशु को स्तनपान कराने की भी एक मर्यादा होती हैं। विशिष्ट आयु वर्ग के मर्यादा के बाद नवजात शिशु को स्तनपान कराना बंद करना ही पड़ता है। माता चाहे या ना चाहे; परंतु स्तनपान उसे बंद करवाना ही होता है।
बच्चे को स्तनपान कराना कब बंद करना चाहिए; यह पूरी तरीके से माताओं के विचारधारा, उनकी इच्छा तथा उनके प्रायरिटी पर निर्भर होता है। माताएं जब तक चाहे; तब तक अपने बच्चे को अपना दूध पिला सकती हैं। माताएं एक से दो साल तक अपने बच्चे को अपना दूध पिला सकती हैं। ६ महीने का होने तक सिर्फ बच्चे को माता का दूध ही पिलाया जाता है।
परंतु, ६ या ७ महीना होने के बाद नवजात शिशु को ठोस आहार देना भी शुरू किया जाता है। क्योंकि, नवजात शिशु का विकास तेजी से हो रहा होता है और सिर्फ माता के दूध से ही उसका पोषण संभव नहीं हो पाता है। साथ ही, आजकल की माताएं घर की जिम्मेदारियों के साथ-साथ प्रोफेशनल जॉब की जिम्मेदारी अभी उठाती हैं।
इसीलिए, पोस्टपार्टम रिकवरी के बाद उन्हें तुरंत ऑफिस ज्वाइन करने की जरूरत होती है। ऐसी परिस्थिति में वह अपने बच्चे को एक मर्यादा के बाद दूध नहीं पिला सकती हैं। इसीलिए, माताएं अक्सर एक से डेढ़ साल के बाद अपने बच्चे का दूध छुड़ाने की कोशिश करती हैं।
साथ ही, बच्चे का संपूर्ण शारीरिक एवं मानसिक विकास होने के लिए माता के दूध के साथ-साथ उसे अन्य पोषक तत्वों से युक्त ठोस आहार की भी जरूरत होती है; खास तौर पर आयरन की! इसीलिए, माता को एक वक्त के बाद स्तनपान बंद करना जरूरी हो जाता है।
मुझे अपने बच्चे को स्तनपान कब बंद करना चाहिए ? Bache Ka Dudh Kab Band Kare ?
दोस्तों, माताएं जब तक अच्छा और स्वस्थ महसूस करती हैं; तब तक अपने बच्चे को अपना दूध पिला सकती हैं। हालांकि, ऐसी कई स्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं; जिसमें माताएं अपने बच्चे को दूध नहीं पिला सकती हैं। जैसे; डिलीवरी के बाद विशिष्ट प्रकार के स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं और उन समस्याओं का इलाज करने के लिए विशिष्ट प्रकार की दवाइयों का सेवन जैसे कारणों की वजह से माता चाहकर भी अपने बच्चे को ज्यादा देर तक दूध नहीं पिला सकती हैं।
आमतौर पर, स्तनपान बंद करने की प्रोसेस काफी लंबी होती है। अपने बच्चे को अचानक से दूध पिलाना बिल्कुल भी बंद नहीं करना चाहिए; क्योंकि यह आपके बच्चे को भावनिक रूप से आहत पहुंचा सकता है और यह उसके स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक हो सकता है। आमतौर पर, बच्चा जब तक ६ महीने का होता है; तब तक सिर्फ माता का दूध ही उसे पिलाया जाता है। परंतु, ६ से ७ महीने होने के बाद नवजात शिशु को माता के दूध के साथ साथ अन्य ठोस आहार देना भी शुरू किया जाता है; ताकि उसका पोषण सही तरीके से हो सके।
आप चाहे; तो ६ से ७ महीने के बाद अपने शिशु को ठोस आहार देना शुरू कर सकती है और स्तनपान करना धीरे-धीरे कम कर सकती हैं। साथ ही, एक से डेढ़ साल तक आप अपने बच्चे को स्तनपान कराती रहे और इस दौरान धीरे-धीरे स्तनपान कराने के पैटर्न में चेंज करती रहे; ताकि स्तनपान बंद कर आते समय आपके बच्चे को ज्यादा तकलीफ ना हो सके।
शिशु को कितने महीने के बाद दूध छुड़वाने की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए ? Shishu ki Dudh Chudwane Ki Prakriya :
आमतौर पर, शिशु जब तक ६ महीने का होता है; तब तक उसे सिर्फ माता का दूध ही पिलाया जाता है। परंतु, ६ महीने का होने के बाद में माता के दूध के साथ-साथ उसे अन्य ठोस आहार देना भी शुरू किया जाता है। ऐसी परिस्थिति में आप चाहे; तो बच्चा ६ महीने का होने के बाद में दूध छुड़वाने की प्रक्रिया की शुरुआत धीरे-धीरे कर सकती हैं।
दूध छुड़वाते समय इस बात को हमेशा ध्यान रखें; कि अचानक से स्तनपान बंद कराना आपके शिशु के स्वास्थ्य और उसकी भावनाओं के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए, स्तनपान बंद कराने की शुरुआत हमेशा धीरे-धीरे ही करनी चाहिए और अचानक से स्तनपान बंद बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।
मैं जल्दी से स्तनपान कैसे रोक सकती हूं ? Jaldi Stanpan Kaise Roke ?
दोस्तों, सबसे पहले; माताओं को इस बात को अपने दिमाग में बैठा लेना है ; कि उन्हें अपने नवजात शिशु का स्तनपान अचानक से बिल्कुल भी बंद नहीं कराना चाहिए। अगर वह चाहती हैं; कि उसका बच्चा स्वस्थ हो और मानसिक रूप से पूरी तरीके से मजबूत हो; तो उन्हें स्तनपान की प्रक्रिया बंद करवाने की प्रक्रिया हमेशा धीरे से ही शुरुआत करनी चाहिए।
माताएं शिशु ६ महीने का होने के बाद में स्तनपान बंद कराने की प्रक्रिया की धीमी शुरुआत कर सकती हैं। बच्चे का स्तनपान बंद कराने के लिए वह निम्नलिखित तरीके अपना सकती हैं।
१) बच्चे को तैयार करें –
अगर आप को स्तनपान बंद कराना है; तो सबसे पहले स्तनपान बंद कराने की प्रक्रिया की धीमी शुरुआत करें। इसके लिए आप अपना दूध पिलाने के बजाय उसे बोतल का दूध पिलाने की आदत डालें। ऐसा करने पर बच्चा स्तनपान कराने के लिए रोता नहीं है और स्तनपान बंद करने की प्रक्रिया की शुरुआत भी अच्छे से हो जाती हैं।
२) ठोस आहार –
आपका बच्चा ६ महीने से ऊपर का है; तो आप उसे स्तनपान कराने के साथ-साथ या बोतल का दूध देने के साथ-साथ अन्य ठोस आहार भी दे सकते हैं। आप उसे उसके पोषण को बढ़ाने के लिए बोतल के दूध के साथ साथ अन्य ठोस आहार देना शुरू करती है; तो वह स्तनपान के लिए जिद नहीं करता है।
३) फीडिंग पैटर्न में बदलाव –
अगर आप अपने बच्चे को दिन भर में कुल मिलाकर ७ से ८ बार स्तनपान कराती हैं; तो उसके फीडिंग पैटर्न में थोड़ा बदलाव जरूर करें। मानो, आप दिन में 7 से 8 बार उसे स्तनपान कराती हैं; तो कुल मिलाकर सिर्फ ४ बार ही स्तनपान कराएं। उसके पोषण को जारी रखने के लिए आप उसे स्तनपान कराने की बजाय ठोस आहार दें। साथ ही, स्तनपान कराने के समय पर आप उसे बोतल का दूध पिला सकती हैं।
४) बच्चे से दूर सोना –
रात के समय में खासतौर पर बच्चे सिर्फ माता का दूध ही पीना चाहते हैं। ऐसे में, आप अपने परिवार की मदद लेते हुए अपने बच्चे को उनके साथ सुला सकते हैं और खुद बच्चे से दूर so सकती हैं। थोड़े दिनों के लिए इस तरीके को अपनाकर आप अपने बच्चे का स्तनपान धीरे धीरे बंद करा सकती हैं। रात के समय में बच्चे के स्तनपान को छुड़ाने के लिए आप उसे शाम के समय में अच्छा ठोस आहार खिला सकती हैं और सोते समय बोतल का दूध पिला कर सुला सकती हैं। ऐसा करने पर रात में उसे भूख नहीं लगती है और वह दूध स्तनपान करने की जिद नहीं करता है।
५) बच्चे का ध्यान भटकाना –
अगर आपका बच्चा स्तनपान कराने के लिए रोता है; तो उसका ध्यान भटकाने की कोशिश करें। उस समय उसे कुछ खिलौने दे, उसके साथ बातें करें, नाचे, उसे कहीं बाहर घुमाने ले जाएं या उसे अन्य बातों में उलझाने की कोशिश करें। अपने बच्चे का ध्यान भटकाने के लिए आपको से मुंह में पैसिफायर भी दे सकते हैं। खासतौर पर, रात के समय में बच्चे के मुंह में पैसिफायर देकर उसे सुलाना स्तनपान बंद कराने के लिए एक अच्छा प्रयास हो सकता है।
स्तनपान बंद करने के टिप्स : Stanpan Band Karne Ke Tips
स्तनपान बंद करने के लिए माताएं निम्नलिखित टिप्स का सहारा ले सकती हैं।
- स्तनपान बंद कराने के लिए माताएं जल्दबाजी बिल्कुल भी ना करें और अचानक से स्तनपान बंद बिल्कुल भी ना करें। क्योंकि, ऐसा होने से २ परिणाम हो सकते हैं। सबसे पहला; आपके बच्चे की सेहत के लिए यह हानिकारक होता है और वह बात उसे भावनिक रूप से आहत कर सकती हैं। दूसरी बात; यह आपके स्तनों के स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक हो सकता है।
- शिशु जब ६ महीने का हो जाए; तब स्तनपान की प्रक्रिया को धीमी करने की शुरुआत आप कर सकते हैं और उसका पोषण पूरा करने के लिए उसे ठोस आहार देना भी शुरू कर सकते हैं।
- शिशु को ठोस आहार देते वक्त आपको आपके खाने में थोड़ी वैरायटी लाना जरूरी होता है; ताकि शिशु को अलग अलग स्वाद चखने को मिल सके। जब वह अलग अलग स्वाद का खाना खाता है; तब वह उसे पसंद करने लगता है। रोज एक ही प्रकार का खाना देने पर बच्चा बोर हो जाता है और स्तनपान कराने के लिए जिद करता है।
- स्तनपान बंद कराने के लिए आप शिशु को ठोस आहार देने के साथ-साथ; बोतल का दूध डॉक्टर की सलाह के अनुसार शुरु करवा सकते हैं। ऐसा करने पर बच्चा स्तनपान के बारे में भूल जाता है; क्योंकि उसकी दूध की जरूरत पूरी हो जाती हैं।
- रात के समय में बच्चा स्तनपान करने के लिए जिद ना करें; इस बात का ध्यान रखते हुए आप शाम के समय उसे अच्छा ठोस आहार खिला दे और बोतल का दूध भी पिला दे। ऐसा होने पर बच्चा भूखा नहीं रहता है और रात में उठकर स्तनपान करने की जिद नहीं करता है।
- स्तनपान बंद करने की कोशिश में आपको थोड़ी परेशानी जरूर हो सकती है; परंतु स्तनपान अचानक से बंद बिल्कुल भी ना करें और इस बात को करते हुए धैर्य, संयम रखने की आवश्यकता होती हैं।
- स्तनपान बंद कराने के लिए बच्चे को दिन में दो से तीन बार समय-समय पर ठोस आहार देते रहें; ताकि उसे भूख नहीं लगती है और वह स्तनपान के लिए नहीं रोता है।
- बच्चा स्तनपान कराने की जिद कर रहा है; तो आप स्तनों पर या निप्पल के एरिया में कुछ कड़वी चीजें लगा सकते हैं। जैसे; नीम के पत्तो का रस, करेले का रस या हल्दी। इन चीजों का स्वाद बच्चों को बिल्कुल भी पसंद नहीं होता है और यह चीजें बच्चों को हानिकारक भी नहीं होती है। ऐसे में बच्चा फिर से स्तनपान करने के बारे में जीते नहीं करता है।
- लाख कोशिश करने के बावजूद अगर बच्चा स्तनपान कराना बंद नहीं कर रहा है; तो आप डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं।
तो दोस्तों, आज के लिए बस इतना ही। उम्मीद है, आपको आज का यह ब्लॉग अच्छा लगा हो। धन्यवाद।